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    भायंदर: कुछ जनप्रतिनिधि ऐसे होते हैं, जो चुनाव जीतने के बाद 5 साल  तक दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो खुद मुसीबत में होते हुए भी जनता की मुसीबतों को दूर करने में जुटे रहते हैं। ऐसे ही एक नगरसेवक (Corporator ) हैं राजीव मेहरा (Rajiv Mehra)।  मेहरा मीरा रोड, शीतल नगर क्षेत्र से कांग्रेस (Congress) के नगरसेवक हैं। इनकी खासियत है कि यह कभी शांत नहीं बैठते हैं। इन दिनों इनके पैर का बड़ा ऑपरेशन हुआ है। डॉक्टर ने टोटल बेड रेस्ट की सलाह दी है। बावजूद इसके वे सोमवार को मीरा-भायंदर महानगरपालिका मुख्यालय ( Mira-Bhayander Municipal Corporation) व्हीलचेयर पर पहुंच गए। महानगरपालिका कमिश्नर  नहीं मिले तो बैरंग लौट गए।

    मेहरा ने कहा कि अपने वार्ड में पेयजल और बरसाती पानी की निकासी की समस्या को लेकर वे बेहद चिंतित हैं। 20 दिनों में बरसात दस्तक दे सकती है। और उनका वार्ड इस साल भी डूब सकता है, जबकि उन्होंने वार्ड को जलभराव और पेयजल संकट से बचाने के उपाय काफी पहले ही करा ली थी, लेकिन महानगरपालिका प्रशासन की निष्क्रियता से वह क्रियान्वित नहीं हो पाईं।

     बरसाती जल की निकासी के दो रास्ते 

    उन्होंने बताया कि उनके वार्ड से बरसाती जल की निकासी के दो रास्ते (नाले) हैं। एक लतीफ पार्क से होते हुए घोड़बंदर खाड़ी को जाता है और दूसरा शांति नगर होते हुए अय्यप्पा मंदिर तक प्रस्तावित किया गया है। घोड़बंदर खाड़ी वाला नाला एस.के. स्टोन जंक्शन के पास मेट्रो निर्माण के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया है, जबकि अय्यप्पा मंदिर तक प्रस्तावित नाला का निर्माण सत्तापक्ष की अड़ंगेबाजी के चलते अधर में लटक गया है।

    पानी की टंकी का काम नहीं हुआ शुरु

    इसके अलावा वार्ड को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए शीतल नगर में दो एमएलडी क्षमता की एक टंकी उन्होंने मंजूर करवाई है, लेकिन उसका निर्माण प्रशासन शुरू नहीं करा रहा है। यह काम मार्च में सूर्या पानी परियोजना की निधि से होना निश्चित था। चूंकि इस परियोजना से पैसे आने में देर हो रहे थी, इसलिए वह अपने पैनल के चारों नगरसेवक की निधि खर्च कर इस काम को जल्द से जल्द करा देना चाहते हैं। लेकिन प्रशासन सुन नहीं रहा है। इसलिए वे बीमार होकर भी महानगरपालिका का चक्कर काट रहे हैं।