मुंबई: “एक मंत्री के रूप में, मैं गारंटी दे सकता हूं कि कोयला संकट के कारण कोई लोडशेडिंग नहीं होगी।” मंगलवार को राज्य के ऊर्जामंत्री नितिन राउत (Energy Minister Nitin Raut) ने आयोजित प्रेस वार्ता में यह बात कही। हालांकि, इस दौरान उन्होंने यह माना है कि, कोयला संकट के कारण राज्य के कई बिजली उत्पादन संयंत्र बंद हो गए हैं।
ज्ञात हो कि, देश में कोयले का संभावित खतरा बना हुआ है। जिसका असर महाराष्ट्र में भी पढ़ने लगा है। कोयले की कमी के कारण राज्य के कई बिजली उत्पादन संयंत्र बंद पड़ गए हैं, जिसके कारण राज्य में लोडशेडिंग की संभावना बढ़ने लगी है।
ऊर्जा मंत्री ने कहा, “कोयला संकट के बावजूद, हमने अपने नागरिकों को बिजली की आपूर्ति करने की कोशिश की है। राज्य में कोयले की कमी के बाद भी 27 बिजली उत्पादन इकाइयों में से केवल 4 ही बंद हैं।”
As a minister, I can guarantee that there will be no load shedding due to the coal crisis: Maharashtra Energy Minister Nitin Raut
— ANI (@ANI) October 12, 2021
राउत ने कहा कि, राज्य में कोयला संकट के कारण बिजली उत्पादन कम होने के कारण खुले बाजार से खरीद कर इसकी ग्राहकों को आपूर्ति की जा रही है। इसी के साथ बिना लोडशेडिंग के बिजली उत्पादन बढ़ाने का भी काम किया जा रहा है।”
कम उपयोग कर करें सहयोग
उर्जा मंत्री ने कहा, “मैं पिछले दो महीने से केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ लगातार काम कर रहा हूं।” उन्होंने कहा, “हम सिंह के साथ नियमित संपर्क में हैं और हमें विश्वास है कि हम जल्द ही इस संकट से उबर जाएंगे।”
इसी के साथ उन्होंने लोगों से सहयोग की अपील करते हुए कहा, “इस पृष्ठभूमि में, मैं सभी उपभोक्ताओं से वर्तमान बिजली की कमी की स्थिति को देखते हुए सुबह और शाम को अधिकतम 6 से 10 बजे के दौरान अपने घरों में बिजली के उपकरणों के उपयोग को कम करके बिजली की बचत करके एमएसईडीसीएल के साथ सहयोग करने की अपील करना चाहता हूं।”
तीन हजार मेगावाट बिजली की कमी
राउत ने जानकारी देते हुए बताया, “महानिर्मिता की कुल स्थापित क्षमता 13 हजार 186 मेगावाट है। इसके अलावा MSEDCL अन्य कंपनियों से भी बिजली खरीदती है। राज्य को 3,000 मेगावाट की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कोयले की कमी के कारण 4 इकाइयां बंद हो गई हैं और 3 रखरखाव मरम्मत के कारण बंद हो गई हैं।” उन्होंने कहा कि, “महानिर्मिति ने कोयला और बिजली उत्पादन प्रबंधन में अच्छा समन्वय और संतुलन बनाए रखा है, जिससे कोयले के प्रवाह में वृद्धि हुई है और बिजली उत्पादन में वृद्धि करके कोयले के भंडार में भी सुधार हो रहा है।”
कोल इंडिया से अपर्याप्त आपूर्ति
कोल इंडिया पर उंगली उठाते हुए राउत ने कहा, “आम तौर पर मानसून के मौसम यानी जून-सितंबर के दौरान बिजली की मांग कम हो जाती है। हालांकि, अगस्त में, दुर्भाग्य से, बारिश तेज हो गई और इससे बिजली की भारी मांग हो गई। इसलिए इस मांग को पूरा करने के लिए 18 लाख मीट्रिक टन कोयला भंडार का इस्तेमाल करना पड़ा। कोल इंडिया की दैनिक क्षमता 40 लाख मीट्रिक टन है। हालांकि बारिश के कारण यह घटकर 22 लाख मीट्रिक टन रह गया था। यह अब 27 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। इसलिए हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि कोल इंडिया अपनी वहन क्षमता के अनुसार आपूर्ति करे। इसके अलावा कोल इंडिया से प्राप्त कोयला अपेक्षित गुणवत्ता का नहीं है। इसलिए, बिजली का उत्पादन और गुणवत्ता अपेक्षित नहीं है।”