anil deshmukh

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    नागपुर. पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के चार्टर्ड अकाउंटेंट पर शनिवार की सुबह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने (सीबीआई) की 10 टीमों ने छापा मारा. बताया जाता है कि लगभग 50 अधिकारी और कर्मचारियों की अलग-अलग टीमें बनाई गई थी. इन टीमों ने एक साथ 12 स्थानों पर दबिश दी. इस कार्रवाई से शहर के सीए क्षेत्र में खलबली मच गई है.

    ज्ञात हो कि मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. मुंबई के बार संचालकों से वसूली करने और मनचाही जगह तबादला देने की एवज में पुलिस अधिकारियों से भी पैसे लेने का आरोप लगाया गया था. इसके बाद सीबीआई ने 21 अप्रैल 2021 को देशमुख के खिलाफ एफआईआर की थी. साथ ही ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच शुरू की.

    जांच में पता चला कि देशमुख परिवार द्वारा संचालित श्री साई शिक्षण संस्था के माध्यम से करीब 4 करोड़ रुपये की राशि का व्यवहार हुआ था. इसीलिए शिक्षण संस्था के भी रिकार्ड खंगाले गए. जांच में 4 नहीं 7 करोड़ रुपये का व्यवहार सामने आया. देशमुख और संस्था के खातों का व्यवहार देखने वाले सीए विशाल खटवानी, बाहेती और अन्य लोगों के नाम सामने आए.

    शुक्रवार की रात ही दिल्ली और मुंबई से सीबीआई अधिकारियों की टीम नागपुर पहुंच गई थी. स्थानीय अधिकारियों को साथ लेकर 10 टीमें बनाई गईं. सिटी पुलिस से भी महिला कर्मचारियों की मांग की गई थी. शनिवार की सुबह 7.30 बजे टीमों ने एक साथ सभी स्थानों पर छापेमारी की. कोराडी रोड के लिवरेज ग्रीन में स्थित बंगले और कार्यालय में छापा मारा गया. इसके अलावा बाहेती के रामदासपेठ के एक चेंबर में स्थित कार्यालय पर छापा मारा गया.

    करीब 7 घंटे तक सीबीआई टीमों की जांच चली. इसके बाद खटवानी को सीबीआई कार्यालय भी ले जाया गया. इसके पहले सीबीआई अनिल देशमुख के वकील आनंद डागा को भी गिरफ्तार कर चुकी है. लगातार देशमुख से जुड़े लोगों पर कार्रवाई होने से राकां के करीबी नेता और कार्यकर्ताओं के दिल की धड़कन भी बढ़ी हुई है. कब किस पर गाज गिरेगी इसका भरोसा नहीं है. अब सीबीआई देशमुख परिवार द्वारा संचालित अन्य संस्थानों की भी जांच कर रही है.

    इस संबंध में नागपुर सीबीआई के एसपी एम.एस. खान से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि पूरी कार्रवाई दिल्ली और मुंबई की टीम द्वारा की गई है. सीबीआई की सभी ब्रांच अपनी कार्रवाई गोपनीय रखती है. हमसे केवल लोकल सपोर्ट मांगा गया था. किन लोगों पर और कहां-कहां छापेमारी हुई इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.