नराधम बाप को 10 वर्ष कारावास, नाबालिग बेटी को दुष्कर्म कर किया गर्भवती

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    नागपुर. अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश एसएम अली ने 14 वर्षीय किशोरी का लैंगिक शोषण और दुष्कर्म करने वाले नराधम बाप को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में आरोपी पिता के साथ उसके 2 साथी भी आरोपी थे लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाने के कारण दोनों को बरी कर दिया गया. आरोपी कैलाश, सतीश मोहाड़ीकर और चेतन बंडू तरडे के खिलाफ पांचपावली पुलिस ने विविध धाराओं के तहत दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था.

    14 वर्षीय किशोरी की मां का देहांत हो चुका था. पिता कैलाश ने दूसरा विवाह कर लिया. तब से किशोरी दूसरी मां और कैलाश के साथ रहती थी. जब भी वह घर में अकेली होती, कैलाश उसके साथ दुष्कर्म करता था. हद तो तब हो गई जब कैलाश के दोस्त सतीश और चेतन भी किशोरी को हवस का शिकार बनाने लगे. किसी को कुछ बताने पर मारने की धमकी दी जाती थी. 

    बच्चे को जन्म देने के बाद नया खुलासा

    गर्भवती होने पर मां को गड़बड़ी समझ आई. डॉक्टर के पास ले जाने पर 5 माह की गर्भवती होने का पता चला. डॉक्टर ने बताया कि उसका गर्भपात भी नहीं करवाया जा सकता. पूछताछ में किशोरी ने सतीश का नाम बताया. उसे देखरेख के लिए आश्रम शाला में भर्ती करवाया गया. कुछ महीनों बाद किशोरी ने बच्चे को जन्म दिया. वहीं उसका शिक्षण भी हुआ. बच्चे और सतीश का डीएनए सैंपल मैच नहीं हुआ तो पुलिस और मां हक्के-बक्के रह गए. दोबारा पूछताछ में डरी-सहमी किशोरी ने पिता कैलाश और चेतन का नाम लिया. दोनों के डीएनए सैंपल मैच करवाए गए. इससे पता चला कि बच्चा कैलाश का ही है. पांचपावली पुलिस ने दिसंबर 2015 में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया. 

    अभियोजन पक्ष की मजबूत दलील

    सब-इंस्पेक्टर मंगला मोकाशे ने जांच कर आरोपपत्र दायर किया. अतिरिक्त सरकारी वकील आसावरी पलसोडकर ने न्यायालय के समक्ष मजबूत दलीलें रखीं. आरोपियों के खिलाफ तकनीकी सबूत भी पेश किए गए लेकिन चेतन और सतीश का डीएनए मैच नहीं होने और किशोरी द्वारा बदले गए बयान का लाभ उन दोनों को मिला. न्यायालय ने कैलाश को दोषी करार दिया. अभियोजन पक्ष ने आजीवन कारावास की सजा मांगी. न्यायालय ने कैलाश को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. बतौर पैरवी अधिकारी एएसआई राजू बोरकर और हेड कांस्टेबल देवेंद्र ने कामकाज संभाला.