AIIMS, Nagpur

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नागपुर. कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुलने तथा लोगों को हो रही त्रासदी को लेकर छपी खबरों पर हाई कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था. याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अर्जी दायर की गई जिसमें अस्पतालों के दावे के लिए सुरक्षित रखी गई निधि में से 1,20,17,750 रुपए एम्स अस्पताल में स्थापित किए गए ऑक्सीजन प्लांट के भुगतान के लिए खर्च करने की अनुमति हाई कोर्ट से मांगी गई. अर्जी पर सुनवाई के बाद दोनों पक्षों की दलीलों को देखते हुए न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने ऑक्सीजन प्लांट के लिए 15,58,800 रुपए सुरक्षित जमा निधि में से ट्रांसफर करने की अनुमति राज्य सरकार को दी. अदालत मित्र के रूप में अधि. श्रीरंग भांडारकर, केंद्र सरकार की ओर से अधि. एनएस देशपांडे, राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील निवेदिता मेहता और मनपा की ओर से अधि. सुधीर पुराणिक ने पैरवी की.

जिला आपदा प्रबंधन समिति को भी करना है भुगतान

राज्य सरकार द्वारा दायर अर्जी में बताया गया कि सीएसआर निधि में से 1.20 करोड़ रुपए न केवल ऑक्सीजन प्लांट बल्कि जिला आपदा प्रबंधन समिति के भुगतान के लिए भी आवश्यक हैं. सुनवाई के बाद अदालत का मानना था कि कोरोनाकाल में विशेष उपयोग के लिए सीएसआर निधि का आवंटन किया गया था. हालांकि राज्य सरकार ने इस निधि में से कुछ की मांग की है किंतु क्या निधि अन्य के लिए भी उपयोग की गई. यह देखना होगा. कोरोनाकाल में आपदा को देखते हुए ही सीएसआर निधि सुरक्षित कर ली गई थी. गत सुनवाई के दौरान अदालत मित्र भांडारकर ने बताया था कि मेयो में फायर सेफ्टी उपकरण लगाने हैं. लंबे समय से मामला लंबित है. सरकारी वकील की ओर से बताया गया कि कोरोनाकाल में कई शिकायतकर्ताओं की शिकायत का निपटारा किया गया. इसके लिए पूर्व न्या. गिलानी कमेटी को भी 50 लाख रुपए की निधि आवश्यक है. इस निधि में से कमेटी को राशि आवंटित की जा सकती है.

लेनी पड़ेगी जानकारी

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की पैरवी कर रहीं सहायक सरकारी वकील निवेदिता मेहता ने कहा कि आरक्षित निधि किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग की गई है या ट्रांसफर की गई है, इसकी वास्तविक जानकारी लेनी होगी. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए. अदालत ने गत आदेश में कहा था कि जिलाधिकारी के पास जमा सीएसआर निधि में से कुछ हिस्सा मेयो के लिए दिया जा सकता है जिससे तुरंत कार्य की शुरुआत हो सकेगी. अदालत ने 1 करोड़ रुपए इसके लिए आवंटित करने के आदेश भी जिलाधिकारी को दिए थे.