Roshani Scam

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    नागपुर. निर्मल उज्वल क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में एक घोटाला छिपाने के लिए दूसरे घोटाले को अंजाम दिया गया. पहले तो मैनेजर पर पूरा मामला ढकेल दिया गया. बाद में उसे और सोसाइटी का नाम बचाने के लिए दोबारा घोटाला किया गया. लंबे समय से इस प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा कर रही थी. आखिरकार रविवार को नंदनवन पुलिस थाने में एफआईआर की गई.

    इस मामले में निर्मल उज्वल की कामठी शाखा के मैनेजर सचिन प्रकाशराव बोंबले (42), सचिव प्रमोद मानमोड़े व अन्य संचालक मंडल का समावेश है. पुलिस ने शांतीनगर निवासी कुणाल नंदकिशोर येलणे (40) की शिकायत पर मामला दर्ज किया. कुणाल के परिचित बापू मेंढे और मनीष घवघवे ने वर्ष 2017 में निर्मल उज्वल बैंक की कामठी शाखा से 70 लाख रुपये का लोन लिया था. 35 और 20 लाख के 2 टर्म लोन थे जबकि 15 लाख रुपये की कैश क्रेडिट (सीसी) जारी की गई थी.

    बैंक शाखा के तत्कालीन प्रबंधक सचिन बोंबले ने घवघवे की सीसी लिमिट 85 लाख कर दी. उनके नाम पर 60 लाख रुपये निकाल लिए. मनीष के अलावा रमेश्वर बावनकर, बाबा रेडीमेड, इंदू एंड नरेंद्र मनचंदानी और सलमान छवारे के नाम पर कुल 3.46 करोड़ रुपये की विड्राल की गई. सितंबर 2018 में कुणाल ने बैंक में 1 करोड़ के कर्ज के लिए आवेदन दिया. उस समय सचिव मानमोड़े ने उन्हें मिलने बुलाया. वह जानते थे कि कुणाल और मनीष के करीबी संबंध हैं.

    उन्होंने कुणाल से कहा कि सचिन द्वारा की गई धोखाधड़ी बाहर आने पर बैंक का भी नाम खराब होगा. उन्होंने कुणाल को एक की बजाय ढाई करोड़ रुपये का लोन लेने को कहा. बाकी रकम सचिन के खाते में डालने को कहा. कुणाल ने अपनी जमीनों के दस्तावेज जमाकर लोन लिया. इसके बाद फरवरी 2019 में मानमोड़े ने दोबारा कुणाल को बैंक से 2.50 करोड़ रुपये का लोन उठाने को कहा. उस समय कुणाल के पास गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं था.

    सचिन के नाम पर टर्न की करारनामा तैयार किया गया. कुणाल द्वारा सौदा की गई जमीन पर सचिन लेआउट बनाकर पूरी रकम बैंक को लौटाएगा, यह करार हुआ. 7-8 किस्तें भरने के बाद सचिन ने रकम भरना बंद कर दिया. कुणाल ने मानमोड़े, उनकी पत्नी और बैंक मैनेजर से मिलकर पूरा प्रकरण तुरंत निपटाने और उनकी गिरवी रखी हुई संपत्ति को छुड़वाने को कहा लेकिन सब टालमटोल करते रहे. घोटाले की रकम चुकाने के लिए कुणाल को फंसाया गया और उनके नाम पर 2.80 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. कुणाल ने प्रकरण की शिकायत पुलिस से की. आर्थिक अपराध शाखा ने प्रकरण की जांच शुरू की. लगभग 1 वर्ष से यह मामला प्रलंबित था. रविवार को प्रकरण में एफआईआर दर्ज की गई.