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    नागपुर. अवैध निर्माण को लेकर मनपा की ओर से 16 जुलाई 2020 को नोटिस जारी किया गया. इस नोटिस को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता राजू थदानी ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मनपा का जवाब आने तक राहत देने का अनुरोध किया. जिसके बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने 10 जून तक मामले की सुनवाई स्थगित कर तब तक स्थिति जैसे थे रखने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता ने बताया कि महाराष्ट्र रीजनल एंड टाऊन प्लानिंग एक्ट 1966 की धारा 53 (1) के तहत नोटिस जारी किया गया था. इसके खिलाफ सिविल सूट दायर की गई थी. जिसमें याचिकाकर्ता को पहले अस्थायी राहत प्रदान की गई थी. 

    मनपा ने किया विरोध

    सिविल सूट के माध्यम से याचिकाकर्ता को राहत मिलने के बाद मनपा की ओर से इसे चुनौती देते हुए अपीलेट कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिस पर सुनवाई के बाद 11 अप्रैल 2022 को मनपा की अर्जी स्वीकृत कर अंतरिम राहत को ठुकरा दिया गया. हालांकि इस आदेश के खिलाफ रिट याचिका दायर की गई लेकिन तुरंत ही याचिका वापस ली गई थी. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि नोटिस को चुनौती देते हुए सूट दायर करने का आधार ही नहीं बनता था. जिससे सिविल सूट वापस ली गई थी. जिसके बाद अब इस नोटिस की वैधता और उपयुक्तता को चुनौती दी गई है. इस नोटिस के खिलाफ केवल रिट याचिका दायर करने का एकमात्र विकल्प याचिकाकर्ता के पास है.

    60 दिनों में नक्शा पर निर्णय लेना जरूरी

    याचिकाकर्ता के वकील का मानना था कि इमारत का नक्शा मंजूरी के लिए प्रेषित किया गया था. वर्तमान में भी यह मनपा के पास लंबित है. जिस पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया. नियमों के अनुसार यदि 60 दिनों के भीतर नक्शा के आवेदन पर किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया तो इसे मंजूर माना जाता है. जिससे इमारत के नक्शे को मंजूरी मिलने जैसा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सिविल सूट में निचली अदालत की ओर से 11 अप्रैल 2022 तक अंतरिम राहत मिली थी. संबंधित कमर्शियल इमारत में वर्तमान में बैंक का संचालन हो रहा है. अत: याचिका पर मनपा का जवाब आने तक राहत देने का अनुरोध किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.