नागपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एचसी शेंडे की कोर्ट ने वाड़ी थाने में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में 5 आरोपियों को धारा 420 के तहत दोषी करार देते हुए 3 वर्ष की कैद और 5,000 की सजा सुनाई. वहीं अन्य धाराओं में भी दोषी साबित होने पर सभी को लंबी कैद और भारी जुर्माने की सजा दी गई.
दोषियों के नाम विट्ठलनगर, पुणे निवासी कृष्णकांत छगनलाल चांडक (46) और उनके भाई मनोज छगनलाल चांडक (48), दाभा निवासी विवेक विजयकुमार ठाकरे (54), योगेश विजय कुमार ठाकरे (57) और सुरेश विट्ठलराव फुले (60) हैं. इसके अलावा धारा 406 के तहत 2 वर्ष तथा धारा 120 ब के तहत 6 महीने की सख्त सजा सुनाई. कलम 3 एमपीआईडी में 3 वर्ष की कड़ी सजा और प्रत्येक पर 50,000 रुपये जुर्माना ठोका. जुर्माना न भरने पर 2 महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी.
वहीं कलम 58 ब6 आरबीआई एक्ट के तहत 2000 रुपये का जुर्माना, जुर्माना न भरने पर 1 महीने की कैद की सजा दी. चांडक बंधुओं को 58 ब 4ए आरबीआई एक्ट के हत 2 वर्ष की सश्रम कैद और 1 लाख रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई. जुर्माना न भरने पर 3 महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. आरोप था कि उन्होंने 10 फरवरी 2003 से 23 नवंबर 2003 के बीच फरियादी से केयर टेकर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड पुणे व नागपुर शाखा में सदस्य बनाकर 71,569 रुपये की धोखाधड़ी की थी. निवेश के बावजूद आरोपियों ने फरियादी को कोई लाभ नहीं दिया.
वाड़ी थाने में मामला दर्ज होने के बाद कृष्णकांत और मनोज को 21 जून 2004 जबकि विवेक और योगेश को 23 दिसंबर 2004 और सुरेश को 23 नवंबर 2003 को गिरफ्तार किया गया था. जांच अधिकारी एपीआई माया बनकर ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की. श्रीकांत चौधरी व अनिल पोतराजे ने कोर्ट का कामकाज देखा. अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील एड. जीएन दुबे और बचाव पक्ष की ओर से एड. जलतारे ने पैरवी की.