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    नागपुर. महानगर पालिका में स्टेशनरी आपूर्ति घोटाले का पर्दाफाश हुए डेढ़ माह बीत चुका है, लेकिन इस मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर संदेह जताया जा रहा है. सभागृह में भी एेसे अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. मनपा कर्मचारी संघ ने मांग की है कि घोटाले में शामिल सभी वरिष्ठ अधिकारियों और ठेकेदारों का नार्को टेस्ट किया जाए. संघ ने अपर आयुक्त राम जोशी के निलंबन की भी मांग की है.

    मामले में अब तक चार कनिष्ठ कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है. हालांकि, विभाग के प्रमुख और उसके आला अधिकारियों के हस्ताक्षर के बिना कोई कार्यवाही नहीं की जाती है. अभी तक किसी भी विभागाध्यक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यह घोटाला स्वास्थ्य, पुस्तकालय, जन्म-मृत्यु और सामान्य प्रशासन से जुड़ा है. लेकिन केवल स्वास्थ्य विभाग पर ही ध्यान केंद्रीय किये जाने का आरोप संघ के केंद्रीय अध्यक्ष जम्मू आनंद ने लागाया गया है.

    सबूत मिटाने का संदेह 

    जब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी कोरोना से दो हाथ कर रहे थे, उस समय कमरे में बैठे अधिकारी घोटाले कर रहे थे. जम्मू आनंद ने कहा कि सभी विभाग प्रमुखों को उनके पद से तब तक हटाया जाए जब तक कि पूरे मामले की जांच न हो जाए. उन्होंने यह भी संदेह व्यक्त किया कि अधिकारी के पद पर रहते हुए डेढ़ महीने के भीतर सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे. सभागृह में भी इस मामले पर चर्चा के लिए केवल एक समिति का गठन किया गया था. वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच प्रस्ताव पास कर पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई गई. – अधिकारियों को मिला आईपैड, टीवी

    यह भी संदेह जताया जा रहा है कि स्टेशनरी की आपूर्ति करने वाले एक ठेकेदार से टीवी, आईपैड और अन्य महंगे उपकरण मिले हैं. घोटाले का पर्दाफाश होते ही सारा माल तत्काल लौटा दिया गया. उसके बाद एक अधिकारी ने आपूर्तिकर्ता से 67 लाख रुपये का चेक लेने का झांसा देकर नगर निगम के खजाने में राशि जमा करा दी. इसके बजाय, उन्होंने सवाल किया कि अधिकारी ने पुलिस को घोटाले की सूचना क्यों नहीं दी. 

    जाधव को घोटाला समिति से हटाएं

    कांग्रेस पार्षद कमलेश चौधरी ने महापौर व आयुक्त को पत्र सौंपकर संदीप जाधव को आपूर्ति घोटाला जांच समिति से हटाने की मांग की है. यह घोटाला 2016-17 में हुआ माना जा रहा है. साथ ही समझौता भी हो गया. उस समय स्थायी समिति के अध्यक्ष संदीप जाधव थे. चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें बचाने के लिए उन्हें जांच समिति में शामिल किया गया. जांच को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए जाधव को हटाने और राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजने की मांग की गई है.