Farmers Suicide
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    नागपुर. शराब और जुएं की प्रवृत्ति ने अनेक परिवार को तबाह कर दिया. शहर में इस तरह का यह पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी लोग अपने परिवार की हत्या करने के बाद सुसाइड कर चुके है लेकिन हर किसी वजह अलग-अलग थी. अग्रवाल परिवार के तबाह होने का सबसे बड़ा कारण जुआ और सट्टेबाजी थी. मदन से जुड़े लोगों की मानें तो पहले उन्होंने आइस गोला का धंधा किया. वर्ष 2009 में किरण से विवाह किया, फिर किसी ने दयानंद पार्क परिसर में ही चायनीज की दूकान लगाने को कहा.

    मदन की दूकान चल पड़ी. सबसे पुरानी दूकान होने के कारण यहां ग्राहकों की भीड़ रहती थी. रोजाना से 10 से 12 हजार रुपये का गल्ला होता था और पैसा आते ही मदन को जुआ का शौक लग गया. रोजाना दूकान बंद करने के बाद मदन जुआ खेलने बैठ जाते थे. सारा पैसा जुआ में उड़ जाता था. ऐसे में घर की आर्थिक हालत बिगड़ने लगी. पत्नी के लाख समझाने के बावजूद मदन ने आदतें नहीं सुधारीं. 

    बैंक ने जब्त कर लिया था घर 

    इसी बीच विदर्भ हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में एक मकान खरीदा. घर को रिनोवेट करने के लिए बैंक से कर्जा भी लिया लेकिन जुआ और सट्टे के कारण पैसा बचता ही नहीं था और किस्त नहीं लौटने के कारण घर भी जब्त हो गया. मदन अपने परिवार के साथ किराये मकान में ही रह रहे थे. पहले तो केवल 3 पत्ती का शौक था लेकिन जरीपटका के बुकियों ने क्रिकेट सट्टे का भी शौक लगा दिया. तब हालत और बिगड़ने लगी. मदन ने कई व्यापारियों से प्रति माह 10 प्रश ब्याज दर पर लाखों रुपये उधार ले रखे थे.

    मासिक किराया अदा नहीं कर पाने की वजह से साहूकारों ने रोजाना कलेक्शन करना शुरू किया. सभी जानते थे कि दूकान बंद होते ही मदन सीधे जुआ खेलने चले जाएंगे. इसीलिए रोज शाम को लेनदार दूकान पर आकर खड़े हो जाते थे. मदन पर करीब 70 लाख रुपये का कर्ज हो गया था और ब्याज देने की भी स्थिति में नहीं थे. 

    बच्चों की फीस भरना भी हुआ मुश्किल

    बताया जाता है कि बच्चों की फीस भरना भी मुश्किल हो गया था. मदन का बेटा ऋषभ दयानंद विद्यालय में 6वीं कक्षा में पढ़ रहा था. जबकि बेटी टिया को इस वर्ष फर्स्ट क्लास में प्रवेश दिलवाना था. लेनदारों को पैसा देने के चक्कर में मदन के पास पैसे ही नहीं बचते थे. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने में भी परेशानी हो रही थी. मदन की लत और घर की आर्थिक हालत भी खराब हो चुकी थी. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से किरण खुद दूकान पर बैठकर गल्ला संभाल रही थी. अपनी रकम के लिए लेनदारों ने परेशान कर रखा था और इसी वजह से मदन को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. 

    अवैध साहूकारों का बोलबाला

    एक समाजसेवी ने बताया कि जरीपटका परिसर में सबसे ज्यादा सटोरिये और जुआरी धंधा करते हैं. इन व्यापारियों ने ही कुछ अ‍वैध साहूकारों के साथ सांठगांठ कर रखी है. लगवाड़ी के लिए मोटी रकम उधार दी जाती है और प्रति माह 10 से 12 प्रश ब्याज दर वसूला जाता है. करीब 2 दर्जन अवैध साहूकार जरीपटका बाजार में सक्रिय है. जरीपटका में कई बड़े क्रिकेट बुकी है और कई घरों में रोजाना जुआ भी भरता है. इस तरह से कई व्यापारी कर्जबाजारी होकर बर्बाद हुए है. 

    पहले भी हुई हैं घटनाएं 

    • 10 वर्ष पहले इमामवाड़ा थानांतर्गत अजनी रेलवे क्वार्टर में एक सनकी व्यक्ति ने अपने ही मासूम बच्चों और पत्नी को हथियारों से गोद दिया था. बताया जाता है कि वह जादू टोना भी करता था. 
    • जून 2018 में विवेक पालटकर नामक सनकी व्यक्ति ने खरबी परिसर में अपनी पत्नी, बच्चे, बहन-बहनोई और वृद्ध महिला को सोते समय ही मौत के घाट उतार दिया था. 
    • अगस्त 2020 में डॉ. सुषमा राणे ने पारिवारिक कलह के चलते अपने पति धीरज और 2 बच्चों को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर मार दिया था और बाद में खुद आत्महत्या की थी. 
    •  जून 2021 में एक और वारदात गोलीबार चौक के समीप पटवी गली में हुई थी. आलोक मातुलकर नामक व्यापारी ने अनैतिक संबंधों के चलते अपनी पत्नी, बच्चों, सास और साली को मौत के घाट उतारकर जान दी थी.