Nagpur High Court
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    नागपुर. जलसंधारण विभाग में कोल्हापुरी बांध बनाने वाले ठेकेदार से बिल के बदले 50 लाख की रिश्वत मांगने पर भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग ने 3 आला अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी. ठेकेदार विजय घाटोले की शिकायत पर विभाग ने श्रावण शेंडे को 50 लाख रु. लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था. इस मामले में जमानत के लिए श्रावण शेंडे, कविजित पाटिल और रोहित गौतम की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रोहित देव ने सबूतों से छेड़छाड़ न करने और अन्य शर्तों के आधार पर तीनों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए.

    बताया जाता है कि कोल्हापुरी बांध बनाने का ठेका लेने वाले ठेकेदार से इन अधिकारियों ने 81 लाख से अधिक की रिश्वत की मांग की थी. इसमें से 50 लाख देने का तय हुआ था. ब्रम्हपुरी में संबंधित अधिकारी को ठेकेदार द्वारा रिश्वत की राशि सौंपते ही  भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग की टीम ने दबोचा. संबंधित अधिकारी के साथ मिले चंद्रपुर और नागपुर के वरिष्ठ अधिकारियों को भी एसीबी की टीम ने उसी समय गिरफ्तार किया.

    जांच अधिकारी के समक्ष रहना होगा हाजिर

    अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं को जेल की सलाखों के पीछे रखने का कोई औचित्य नहीं है. जमानत पर छोड़े जाने से जांच प्रभावित होने की कोई आशंका नहीं है. इसके विपरीत सरकारी पक्ष की जांच भी प्रभावित न हो, इसे ध्यान में रखना होगा. अत: याचिकाकर्ताओं को जांच के लिए जांच अधिकारी के समक्ष हाजिर रहना होगा. अदालत का मानना था कि चूंकि याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी है. अत: मामले की सुनवाई से नदारद रहने की संभावना भी नहीं है. अत: 1 लाख रु. के निजी मुचलके और चार्जशिट दायर होने तक भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग कार्यालय में शनिवार और रविवार की सुबह 10 से दोपहर 2 बजे के बीच हाजिरी लगाने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए. 

    81 लाख की मांगी थी रिश्वत

    शिकायतकर्ता ने मृद व जलसंधारण कार्यालय नागपुर के जिला जलसंधारण अधिकारी एवं प्रभारी प्रादेशिक जलसंधारण अधिकारी श्रेणी-1 कविजीत पाटिल (32), मृद एवं जलसंधारण कार्यालय चंद्रपुर के उपविभागीय जलसंधारण अधिकारी एवं प्रभारी जिला जलसंधारण अधिकारी श्रेणी-1 श्रावण शेंडे (46), मृद एव जलसंधारण कार्यालय चंद्रपुर के विभागीय लेखाधिकारी श्रेणी-1 रोहित गौतम (35) के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. इन अधिकारियों द्वारा बिल का भुगतान करने के लिए 81 लाख की रिश्वत मांगी थी. जबकि 50 लाख रु. पर समझौता हो गया था.