नागपुर. स्कूल और लाइब्रेरी की इमारत के निर्माण के लिए नगर परिषद की ओर से किसी भी तरह का प्रस्ताव पारित नहीं किया गया. इसके बावजूद स्कूल के निर्माण को लेकर प्रक्रिया शुरू किए जाने पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई जारी रखने के लिए सर्वप्रथम 50 हजार रु. हाई कोर्ट रजिस्ट्री के पास जमा करने तथा निधि जमा करने के बाद ही आगे की सुनवाई जारी करने के आदेश दिए थे.
हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान अधि. फिरदौस मिर्जा ने कहा कि निधि जमा की गई है. जिसके बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने नगर परिषद को निर्माणकार्य से संबंधित पूरे दस्तावेज हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए.
बिना अधिकार शुरू किया निर्माण
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. मिर्जा ने कहा कि प्रस्तावित निर्माण कार्य के लिए किसी तरह का अधिकार नहीं है. यहां तक कि निर्माण से पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों से प्रशासकीय मंजूरी और तकनीकी मंजूरी भी नहीं ली गई है. वास्तविक रूप में नगर परिषद से इसका प्रस्ताव पारित करना चाहिए था.
जिसके बाद निर्माण कार्य के लिए संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी लेनी चाहिए थी. किंतु सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया. याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि निर्माण कार्य का ठेका आवंटित करने के लिए किसी तरह की टेंडर प्रक्रिया तक नहीं की गई है.
जिलाधिकारी 2 सप्ताह में दें जवाब
प्रतिवादी पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधि.वी.आर.चौधरी ने कहा कि निर्माण कार्य के लिए आवश्यक सभी मंजूरियां ली जा चुकी है. यदि अदालत संबंधित दस्तावेजों के साथ जवाब दायर करने के लिए समय दें, तो दस्तावेज पेश किए जा सकेंगे. सुनवाई के बाद अदालत ने समय प्रदान किया. सरकार की ओर से सरकारी वकील केतकी जोशी ने पैरवी की. दोनों ओर की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने सम्पूर्ण मामले को लेकर जिलाधिकारी को भी 2 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए.