नागपुर. पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई लेकिन चिंता करने वाली बात यह भी है कि इससे हो रही मौतों पर नियंत्रण लगाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है. सण्डे को भी 54 संक्रमितों की मौत हो गई जिस मिलाकर कोरोना की कुल बलि 2044 पर पहुंच गई है. पिछले दो महीनों में ही मौतों का सिलसिला तेजी से बढ़ा है और आज आंकड़ा 2000 के पार हो गया है.
डाक्टरों का कहना है कि संक्रमितों के लेटलतीफ अस्पताल पहुंचने के कारण ही मौतों पर नियंत्रण करने में दिक्कतें आ रही हैं. अगर पीड़ित समय पर जांच करवा कर डाक्टर के पास या कोविड हास्पिटल पहुंच जाए तो उपचार से वह स्वस्थ हो जाता है. सण्डे को जिले में 5732 नमूनों की जांच की गई जिसमें 1226 रिपोर्ट पाजिटिव आई है. इसे मिलाकर अब तक कोरोना पाजिटिव की संख्या 63,757 पर पहुंच गई है. इसमें 50,675 सिटी के और 12,716 ग्रामीण भागों के हैं. वहीं 366 जिले के बाहर के हैं.
1610 की छुट्टी
सण्डे को 1610 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटे. इनका विविध अस्पतालों व कोविड सेंटरों में उपचार चल रहा था. जिले में अब तक स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 51556 हो गई है. यह आशाजनक है. जिले में रिकवरी रेट भी बढ़ रहा है. इसमें सिटी के 42,298, ग्रामीण इलाकों के 9,258 का समावेश है.
आज की तारीख में जिले में 10157 एक्टिव मरीज हैं जिनका विविध अस्पतालों में उपचार चल रहा है. इसमें सिटी के 5570 और ग्रामीण भागों के 4587 मरीजों का समावेश है. सण्डे को जो 1226 रिपोर्ट पाजिटिव आई है उसमें एम्स लैब के 84, मेडिकल 6, मेयो 35, नीरी 61, निजी लैब्स 474, एंटीजेन टेस्ट 566 शामिल हैं. अभी भी निजी लैब्स में अधिक भीड़ देखी जा रही है.
सतर्कता ही सबसे जरूरी
सिटी में लाकडाउन की शिथिलता के बाद जो नजारा दिख रहा है उससे कोरोना के प्रसार को बल मिल रहा है. हर चौराहों, फुटपाथ, सरकारी कार्यालयों के सामने व परिसर में अब चाय-पान, नाश्ता सेंटरों में लोगों की भारी भीड़ नजर आ रही है. केवल पार्सल सेवा की अनुमति के बावजूद लोग वहीं खड़े होकर चाय-नाश्ता करते नजर आ रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो नहीं ही हो रहा है. गुमटियों में बिना मास्क लगाए ही लोग नजर आ रहे हैं. दूकानदार ग्लब्स नहीं पहन रहे हैं.
प्रशासन व डाक्टर के साथ ही नेतागण नागरिकों से बार-बार अपील कर रहे हैं कि कोविड-19 के लिए जारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन कर ही जानलेवा महामारी से बचा जा सकता है लेकिन कोई इसका पालन करता नजर नहीं आ रहा है. सतर्कता ही सबसे जरूरी है क्योंकि अभी तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आई है. जिस तरह शहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ी है उसे देखते हुए डाक्टरों ने सामुदायिक प्रसार होने की बात कही है.