आटो से मुंबई जाने घर से निकला 6 वर्षीय मासूम, हाथ में नक्शे का जेराक्स और पीठ पर छोटा बैग

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नागपुर. हाथ में नक्शे का जेराक्स और पीठ पर छोटा बैग लेकर करीब 6 वर्षीय मासूम ऑटो से मुंबई जाने को निकला था. परिसर के नागरिकों की मदद से उसे माता-पिता के पास सही सलामत पहुंचाया गया. 20 मिनट तक घर से बाहर रहे मासूम की बातें सुनकर मदद करने वाले भी आश्चर्यचकित रह गये. साथ ही अनेक सवाल भी खड़े हो गये हैं.

आंबेडकर कॉलेज दीक्षाभूमि के प्राध्यापक शैलेश बहादुरे अपने घर की ओर जा रहे थे कि तभी साईं मंदिर के बाजू में मासूम दिखाई दिया. वह ऑटो वालों से मुंबई जाने की बात कर रहा था. पूछने पर बताया कि मैं कभी मुंबई नहीं गया हूं. इसलिए जाना है. उसके हाथ में जो जेराक्स थी, लग रहा था कि वह मुंबई जाने का नक्शा है. इसी दौरान एक छात्रा भी रुकी. उसने भी मासूम से पूछा. कहां रहता है, क्या नाम है लेकिन उसने कोई प्रतिसाद नहीं दिया. बाद में संचेती कॉलेज के बाजू की स्टेशनरी से उसे चॉकलेट लाकर दी. तभी परिसर के कुछ बच्चे आये.

बच्चों ने बताया कि साईं मंदिर के पीछे एक जेराक्स की दूकान है. यह जेराक्स वहीं का हो सकता है. तभी बच्चे ने बताया कि वह वहीं रहता है. प्रा. बहादुरे बच्चों को लेकर जेराक्स की दूकान के पास गये तो मासूम के माता-पिता खोजबीन ही कर रहे थे. माता-पिता को बच्चे के पास लेकर गये. बच्चे ने अपने माता-पिता को पहचान तो लिया लेकिन उनके पास जाने को तैयार नहीं था. वह बार-बार कह रहा था कि वे उसे मारते हैं. बाद में माता-पिता उसे लेकर गये.

बहादुरे ने बताया कि अच्छा हुआ कि बच्चा किसी अज्ञात हाथों में जाने से बच गया. हो सकता है बच्चे ने यूट्यूब और शार्ट वीडियो से मुंबई के बारे में जानकारी हासिल की हो. वीडियो में किसी एक विशेष स्थान का आकर्षण होता है. यह उसी का उदाहरण हो सकता है.