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    नागपुर. पांचपावली थानांतर्गत हुई हत्या की वारदात के बाद पुलिस ने नीलेश पिल्लेवान को धारा 302 के तहत गिरफ्तार कर लिया. मामले से किसी तरह की सक्रियता नहीं होने का हवाला देते हुए निचली अदालत में जमानत के लिए अर्जी दायर की गई. किंतु उसे ठुकराए जाने के बाद अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रोहित देव ने सबूतों से छेड़छाड़ न करने और अन्य शर्तों के आधार पर जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता पिल्लेवान की ओर से अधि. श्वेता वानखेड़े और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एनएस राव ने पैरवी की. अभियोजन पक्ष के अनुसार पिल्लेवान चायनिज रेस्टोरेंट चलाता है जहां उसके साथी विवेक और मोहसीन ने मृतक के साथ शराब पी.

    CCTV फुटेज से मामला उजागर

    अभियोजन पक्ष के अनुसार हत्या की वारदात सीसीटीवी फुटेज में रिकॉर्ड हुई थी. जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि रेस्टोरेंट में ही मृतक पर हमला किया गया. यहां तक कि मामले के दूसरे आरोपी विवेक को बाहर आकर चाकू निकालकर रेस्टोरेंट के भीतर जाते दिखाया गया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधि. वानखेडे ने कहा कि मामले के अन्य आरोपी मोहसीन को कोर्ट द्वारा पहले ही जमानत दी गई है. वास्तविक रूप में सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट रूप से दिखा है कि रेस्टोरेंट के भीतर विवेक को घुसने से याचिकाकर्ता ने रोका हुआ था. यहां तक कि पूरे मामले में शामिल होने के याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है. 

    घावों की संख्या देखकर प्रभावित

    अदालत ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के पास से कोई भी हथियार जब्त नहीं किए गए हैं. संभवत: मृतक के शरीर पर घावों की संख्या से प्रभावित होकर ही निचली अदालत ने जमानत देने से इनकार किया है. यहां तक कि एक से अधिक लोगों के शामिल होने के कारण ही इतने घाव होने की संभावना लेकर जमानत नहीं दी गई. हाई कोर्ट ने पूरे मामले को देखते हुए 16,000 रु. के निजी मुचलके, गवाहों या सबूतों से किसी तरह की छेडछाड़ नहीं करने तथा निचली अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए.