
नागपुर. तालिबानी आतंकियों से जुड़े एक अफगानी नागरिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. बताया जाता है कि वह 10 वर्षों से नागपुर में रह रहा था. पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार को जानकारी मिली थी कि एक अफगानी नागरिक दिघोरी परिसर में रह रहा है. वह तालिबान के आतंकी संगठनों को सोशल मीडिया पर फालो करता है. उन्होंने स्पेशल ब्रांच को जांच के निर्देश दिए. डीसीपी बसवराज तेली ने अपनी टीम को काम पर लगाया और बुधवार को उसे गिरफ्तार किया गया.
पकड़ा गया आरोपी नूर मोहम्मद अजीज मोहम्मद (30) बताया गया. पुलिस लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई थी. बुधवार को पुलिस ने नूर मोहम्मद का घर ढूंढ निकाला और उसे हिरासत में ले लिया. वह ब्लैंकेट बेचने का काम कर रहा था. डीसीपी तेली ने बताया कि वह 2010 में 6 महीने के विजा पर नागपुर आया था.
बाद में उसने शरणार्थी बनने के लिए यूनाइटेड नेशन ह्युमन राइट काउंसिल को आवेदन दिया था, लेकिन उसका आवेदन ठुकरा दिया. इसके बाद दोबारा उसने अपील की थी, लेकिन वह भी ना मंजूर हो गई. तब से नूर नागपुर में ही रह रहा था. दिघोरी परिसर में उसने कमरा किराए पर लिया और ब्लैंकेट बेचने का काम शुरु किया.
शरीर पर गोली लगने का निशान
पुलिस ने उसके घर की तलाशी ली तो कोई हथियार नहीं मिला, लेकिन उसके शरीर पर गोली लगने के निशान है. उसके बाएं कंधे पर गोली आर-पार होने का निशान है. इस बारे में उससे पूछताछ की जा रही है. पुलिस ने उसका सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाला है. इससे यह पता चलता है कि वह तालिबानी आतंकी संगठनों को फालो करता है.
वह सीधे आतंकी संगठनों से जुड़ा है या नहीं इसकी जांच चल रही है. वर्ष 2008 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठनों और तालिबानी आतंकियों के बीच चल रही जंग के समय ही वह भारत में आया था. इससे संदेह और भी गहरा रहा है. शरीर पर गोली लगने का निशान और आतंकी संगठनों से जंग के समय उसका भारत आना संजोग नहीं हो सकता.
असली नाम है अब्दुल हक
वैसे सूत्रों की माने तो नूर मोहम्मद का असली नाम अब्दुल हक है. वह तालिबानी आतंकी संगठनों के साथ काम कर चुका है. उसका एक भाई अब भी तालिबानी आतंकियों के साथ काम कर रहा है. कुछ समय पहले अब्दुल ने खंजर के साथ एक वीडियो भी बनाया था. जिसमें में उसने सभी मुसलमानों को तालिबानी इस्लामिक और मुजाहिदों के समर्थन में खड़े होने की बात कही थी.
साथ ही गैर इस्लामिक देशों में रहने वाले मुसलमानों ने यदि उनका विरोध किया तो तालिबानी तरीके से गर्दन उड़ाने की धमकी भी दी थी. इससे साफ है कि वह कहीं न कहीं अब भी संगठनों से जुड़ा हुआ है. नूर मोहम्मद के नाम पर बनाया गया पासपोर्ट भी फर्जी होने की पूरी संभावना है.