Dengue
File Photo

  • अब तक कई हुए हलाकान, प्रशासन का नहीं ध्यान

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  • 7,051 मरीज पिछले वर्ष मिले थे
  • 7,811 अब तक इस वर्ष मिले 
  • 12 की हुई मौत 

नागपुर. साफ पानी में पनपने वाले डेंगू के मच्छर ने पूरे विदर्भ में आतंक मचा रखा है. अब स्थिति यह है कि खराब पानी में पनपने वाले मलेरिया के मच्छरों ने भी लोगों को हलाकान करना शुरू कर दिया है. गत वर्ष की तुलना में इस बार इनकी तीव्रता कुछ ज्यादा ही है. पिछले वर्ष पूर्व विदर्भ में मलेरिया के ७,0५१ मरीज मिले थे, जबकि जनवरी से लेकर अब तक यानी करीब साढ़े 9 महीने में ७,८११ से अधिक मरीज मिले हैं. इतना ही नहीं, इस कालावधि में 1२ मरीजों की जान भी चली गई.

स्वास्थ्य विभाग पुणे कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार विभाग में १ जनवरी से 31 दिसंबर २०२० तक ७,0५१ मरीज मिले थे. इनमें सर्वाधिक ६,४८५ मरीज अकेले गड़चिरोली जिले में थे. वहीं भंडारा में १४, गोंदिया में 3४७, चंद्रपुर ग्रामीण में १९६, नागपुर ग्रामीण में 3 और सिटी में ६ मरीज मिले थे. चद्रपुर सिटी और वर्धा जिले में कोई भी मरीज नहीं मिला था. १ जनवरी से १४ सितंबर  २०२१ तक ७,८११ मरीज मिले हैं. इनमें सबसे अधिक ७,3०० मरीज अकेले गड़चिरोली जिले में मिले. वहीं भंडारा में ७, गोंदिया में 3८१, चंद्रपुर ग्रामीण में १११, नागपुर ग्रामीण में ५, सिटी में ४, वर्धा जिले में 3 मरीज मिले हैं.

गत वर्ष की तरह ही इस बार भी चंद्रपुर शहर में एक भी मरीज नहीं मिला. पिछले 2 वर्ष से चंद्रपुर शहर में मलेरिया का कोई भी मरीज नहीं मिलने पर मनपा द्वारा मरीजों का पंजीयन किया जा रहा है या नहीं, इस पर संदेह बना हुआ है. इस दौरान पूर्व विदर्भ में २,०२० में गड़चिरोली में ६, भंडारा में २, गोंदिया में २, चंद्रपुर ग्रामीण में 3 मरीजों की मृत्यु हुई थी, जबकि १ जनवरी से १४ सितंबर के बीच गड़चिरोली में ६, चंद्रपुर ग्रामीण में ५, गोंदिया में १ मरीज की मृत्यु पंजीकृत की गई है. यह मृत्यु के आंकड़े महज 3 महीने के भीतर के हैं. 

प्राइवेट अस्पतालों में उपचार, दर्ज नहीं हो रहे आंकड़े

जानकार मानते हैं कि मलेरिया जैसी बीमारी का इलाज आसानी से हो जाता है. यही वजह है कि टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज डॉक्टरों से दवाई लेकर घर पर ही इलाज करा लेते हैं. इस वजह से मलेरिया के मरीजों की संख्या मनपा और स्वास्थ्य विभाग के पास दर्ज नहीं होती, जबकि सरकारी नियमानुसार नोटिफाइड बीमारी होने से संबंधित डॉक्टर द्वारा मनपा या स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी जानी चाहिए. इस हिसाब से देखा जाए तो मरीजों का आंकड़ा और बढ़ सकता है. इन दिनों लगातार बारिश होने से पानी जमा हो गया है.

खासतौर पर खुले भूखंडों में तो महीनेभर से पानी जमा है. इस जमा पानी में मलेरिया के मच्छर पनपते हैं. इन मच्छरों की पैदावार को रोकने के लिए समय-समय पर दवाइयों का छिड़काव आवश्यक है लेकिन मनपा का स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाता. जो मरीज सरकारी अस्पताल में उपचार लेते हैं उनका ही रिकॉर्ड दर्ज है. प्राइवेट अस्पतालों में उपचार लेने वालों का आंकड़ा ही नहीं है.