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    नागपुर. कृषि उत्पन्न बाजार समिति (एपीएमसी) की नई कार्यकारिणी के लिए गत 3 वर्षों से चल रही न्यायिक लड़ाई रुकने का नाम नहीं ले रही है. अब पुन: अहमद भाई शेख की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. याचिकाकर्ता की दलील में तथ्य होने के कारण गत समय हाई कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए गए.

    लंबे समय से मामला अटका होने के बावजूद सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर करने के लिए समय देने का अनुरोध किया गया. जिसके बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश जी.ए. सानप ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए भविष्य में पुन: समय नहीं मिलने की जानकारी देकर शपथ पत्र दायर करने का अंतिम मौका प्रदान किया है. अलग-अलग कृषि उत्पन्न बाजार समितियों को लेकर कई याचिकाएं भी दायर की गईं. जिससे अदालत ने अब संबंधित याचिकाओं को एकसाथ 16 सितंबर को सुनवाई के लिए रखने के आदेश दिए. जिससे एपीएमसी चुनाव को लेकर इसी सुनवाई में सरकार की ओर से खुलासा होने की संभावना जताई जा रही है.

    प्रशासक का कार्यकाल भी खत्म

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. ए.एम. घारे ने कहा कि कानून में प्रदत्त अधिकार और धाराओं के अनुसार प्रशासक का कार्यकाल 1 वर्ष से अधिक समय तक नहीं रह सकता है. वर्तमान प्रशासक को एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है. ऐसे में न तो एपीएमसी की नई कार्यकारिणी के लिए चुनाव हो रहे है और न ही प्रशासक बने रह सकते हैं. अधि. घारे ने कहा कि याचिका का मूल आधार प्रशासक की नियुक्ति बने होने का है. जिससे इस संदर्भ में कानूनी निपटारा जरूरी है. वर्तमान में अलग-अलग मुद्दों को लेकर 2 याचिकाएं दायर की गई है. एक में प्रशासक के कार्यकाल को चुनौती है तो दूसरी याचिका में पहले की कार्यकारिणी को दिए गए 6 माह के कार्यकाल वृद्धि का मसला शामिल है. अधि. घारे ने कहा कि वर्तमान में प्रशासक का कार्यकाल जारी नहीं रह सकता है और चुनाव कराने का पूरा अधिकार राज्य सरकार के पास है. किंतु चुनाव भी नहीं हो रहे हैं. 

    2017 को ही खत्म कार्यकारिणी का कार्यकाल

    -क्रोनोलाजी प्रस्तुत करते हुए अदालत को बताया गया कि 23 फरवरी 2012 को इसके पूर्व एपीएमसी की कार्यकारिणी गठित की गई थी. 9 मार्च 2012 को कार्यकारिणी की पहली बैठक ली गई. 8 मार्च 2017 तक इस कार्यकारिणी का कार्यकल तय था. इसे देखते हुए संबंधित विभाग की ओर से मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई. 

    -13 जनवरी 2017 को अंतिम मतदाता सूची भी घोषित की गई लेकिन इसी बीच बिना किसी आवेदन के राज्य सरकार ने 10 जनवरी 2017 को कार्यकारिणी का कार्यकाल 6 माह तक के लिए बढ़ा दिया. हालांकि जिलाधिकारी की ओर से अंतिम सूची घोषित होने की आशा थी.

    -राज्य सरकार की ओर से कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद जिलाधिकारी की ओर से चुनाव की प्रक्रिया ही स्थगित कर दी. इसे कुछ सदस्यों द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. जिसमें हाई कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए थे. 

    -8 मार्च 2017 को कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त होने के चलते जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से यहां प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई. हाई कोर्ट की ओर से चुनाव स्थगित कराने के आदेश को भी खारिज कर दिया. किंतु अब तक चुनाव नहीं हो पाए है.