election
election

    Loading

    नागपुर. कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चुनाव को लेकर पहले ही प्रशासक के संदर्भ में तकनीकी पेंच का मुद्दा लेकर हाई कोर्ट में याचिका पर बहस छिड़ी हुई है. अब पुन: चुनाव को लेकर नया मुद्दा उपस्थित कर सुरेश गोरेले की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिसमें राज्य सरकार के सहकार और पणन विभाग की ओर से 22 अप्रैल 2021 को जारी किए गए अध्यादेश का हवाला देकर जब तक एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी और मल्टी पर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी के चुनाव नहीं होते, तब तक एपीएमसी के चुनाव संभव नहीं होने की जानकारी अदालत के समक्ष रखी गई. याचिका पर मंगलवार को लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. हरीश डांगरे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील ए.ए. माडीवाले ने पैरवी की. 

    मतदाता सूची नहीं हो सकेगी तैयार

    मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि कृषि उत्पन्न बाजार समिति में एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी और मल्टी पर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी के सदस्य भी शामिल होते हैं. सरकारी जीआर के अनुसार यदि इन सोसाइटी के चुनाव नहीं होंगे. तब तक सदस्य भी तय नहीं हो सकेंगे. जिससे सर्वप्रथम इनके चुनाव कराना होगा. जिसके बाद ही एपीएमसी के मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया हो सकती है. हालांकि सोसाइटी का कार्यकाल काफी समय पहले ही खत्म हो चुका है. लेकिन इनके चुनाव भी नहीं हो पाए हैं. जिससे मामला अटका हुआ है. जीआर के अनुसार जब तक इन क्रेडिट सोसाइटी का चुनाव नहीं होता, तब तक एपीएमसी का चुनाव संभव नहीं होने का स्प्ष्ट उल्लेख किया गया है. 

    GR के अनुसार निर्णय ले सरकार

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस संदर्भ में सरकार को 21 जून 2021 को ज्ञापन भी सौंपा गया था. जिसमें जल्द चुनाव कराने की मांग की गई थी. किंतु अब तक चुनाव नहीं हो पाए हैं. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने नोटिस जारी कर हलफनामा दायर करने के आदेश तो दिए, साथ ही 21 जून को दिए गए ज्ञापन के अनुसार उचित निर्णय लेने के आदेश भी राज्य सरकार को दिए. उल्लेखनीय है कि नागपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति को लेकर इसके पूर्व अहमद भाई शेख ने याचिका दायर की. जिसमें प्रशासक के कार्यकाल खत्म होने, नियमों के अनुसार प्रशासक की नियुक्ति अब संभव नहीं होने तथा एपीएमसी के चुनाव भी नहीं होने के कारण मामला पेचिदा होने का मसला अदालत के समक्ष रखा गया है. इस पर भी हाई कोर्ट की ओर से पहले ही जवाब मांगा गया है.