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    • आढ़तिया-हमाल वर्ग के लिए भी दावा

    नागपुर. उम्मीदवारी फार्म भरने के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे एपीएमसी चुनाव में रोचकता बढ़ती जा रही है. अब ऐेन वक्त पर शिवसेना ने एंट्री मारी है और महाविकास आघाड़ी (एमवीए) की दुहाई देकर कुछ सीटें देने की मांग की है. इसके लिए मार्केट में बिल्कुल नये खिलाड़ी को टिकट देने के लिए विधायक फोन करने लगे हैं. हालांकि कांग्रेस ने अभी इसके लिए हामी नहीं भरी है लेकिन शिवसेना विधायक और एक पूर्व कांग्रेसी विधायक इसके लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.

    दूसरी ओर सुनील केदार इस बार दागदार छवि वाले पूर्व निदेशकों का टिकट काटने के मूड में हैं, इस कारण भी गोटी सेट करने का खेल काफी तेज हो गया है. पूर्व निदेशकों को लग रहा है कि किसी तरह इस बार भी उम्मीदवारी मिल जाए लेकिन केदार नहीं चाहते हैं कि जिनके ऊपर 2-2 जांच कमेटी बैठी हों उन्हें इस बार मौका दिया जाए. इसलिए वे एक अनुभवी और नये उम्मीदवार को मौका देने के पक्ष में हैं.

    एपीएमसी चुनाव में अलग-अलग वर्ग के लोग आते हैं. कुछ श्रेणियों में उम्मीदवारों को लेकर रोचकता बढ़ गई है जिस कारण दोनों ही पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के विधायक और पूर्व विधायक भी मैदान में कूद पड़े हैं. सभी पर अपनी-अपनी साख बचाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. सहकारी क्षेत्र, ग्राम पंचायत और व्यापारी-आढ़तिया को लेकर दोनों ही पार्टियों में अच्छी खासी गहमागहमी शुरू हो गई है. 

    व्यापारी वर्ग को लेकर मारामारी

    सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस समर्थित सहकार पैनल से व्यापारी वर्ग से लड़ने के लिए कई व्यापारी सामने आ रहे हैं. इस वर्ग से जिसे पूर्व में  निदेशक बनाया गया था उस पर कई घोटालों के आरोप लग चुके हैं जिससे उसका पत्ता काट दिया गया. पहले दरकिनार कर दिए गए पूर्व निदेशकों ने खुलकर लॉबिंग शुरू कर दी है. ऐेसे निदेशक अब स्वतंत्र रूप से या फिर बीजेपी से लड़ने की धमकी देकर केदार को झुकाने के प्रयास में लग गए हैं.

    केदार इस श्रेणी में मिर्ची बाजार के एक वरिष्ठ व्यापारी को उम्मीदवारी देने के पक्ष में हैं. कई व्यापारिक संगठनों का भी उन्हें साथ मिल रहा है. उसके पक्ष में कई व्यापारी संगठन भी मंत्री से मिलने वाले हैं लेकिन पूर्व सदस्य को यह सब नहीं भा रहा है और अपने पुराने सहयोगी जिन पर आरोप लगे हुए हैं, के साथ मिलकर अलग-अलग हथकंडा अपना रहा है.

    इससे नामों की घोषणा नहीं हो पा रही है. घोटाले के आरोपी व्यापारी इस प्रयास में लग गए हैं कि अगर हम नहीं तो कोई पुराने को भी टिकट न मिले. कोई ‘तोता-मैना’ को टिकट मिल जाए ताकि उसे वह नियंत्रण में रखकर अपना उल्लू सीधा कर सके. केदार ऐेसा होना नहीं देना चाह रहे हैं क्योंकि इससे कार्यकारिणी और एपीएमसी की साख पर बट्टा लगता है.

    BJP बना रही भ्रष्टाचार को मुद्दा

    एपीएमसी में हुए भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर ही बीजेपी मैदान में उतरने की तैयारी में है. नेताओं का दावा है कि पूर्व में एपीएमसी की कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों ने समिति को काफी बदनाम और बर्बाद करने का काम किया है. इसलिए व्यापारी, किसान, आढ़तिया काफी नाराज चल रहे हैं.

    अगर पुन: ऐसे लोग आते हैं तो बाजार बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा और किसी को भी कुछ लाभ होने वाला नहीं है. बीजेपी इसके लिए ताल ठोक रही है और एक बेहतर कार्यकारिणी देने का प्रयास करेगी. बीजेपी संभवत: गुरुवार को इस मुद्दे पर फाइनल निर्णय के लिए बैठक करेगी. कई विधायकों के मुंबई में होने के कारण बुधवार बैठक नहीं हो पाई है. 

    हो गया 99 का चक्कर

    बुधवार को कुल 28 लोगों ने उम्मीदवारी फार्म की खरीदी की. इसके साथ ही कुल बिके फार्म की संख्या 99 पर पहुंच गई है. बुधवार को थोक में फार्म नहीं गए. अलग-अलग लोगों ने 1, 2, 5 फार्म की खरीदी की है. इस बीच आढ़तिया-व्यापारी वर्ग में एक व्यक्ति ने स्वतंत्र रूप से नामांकन भी भर दिया है.