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    नागपुर. आशा वर्करों सहित अन्य आंगनवाड़ी कर्मियों ने अपनी 15 विविध प्रलंबित मांगों को लेकर संविधान चौक में आयटक के बैरन तले धरना आंदोलन किया. इसमें आशा व गट प्रवर्तकों को मानधन की बजाय 21,000 रुपये वेतन देने, कोरोना काल में काम करने वाली कर्मचारियों को 500 रुपये रोजाना मानधन देने, एपीएल, बीबीएल शर्त रद्द करने सहित अन्य मांगें जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से की गई.

    आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस से संलग्न महाराष्ट्र राज्य आंगनवाड़ी-बालवाड़ी कर्मचारी यूनियन, महाराष्ट्र राज्य आरोग्य खाते आशा व गट प्रवर्तक संगठन, राज्य शालेय पोषण आहार कर्मचारी यूनियन, राज्य ग्रामीण जीवनोन्नति कर्मचारी संगठन के सैकड़ों कर्मियों ने धरना आंदोलन में भाग लिया. मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की गई. आयटक के महासचिव शाम काले के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में रेखा कोहाड, ज्योति अंडरसहारे, सोनू कुसे, संगीता गौतम, मंगला पांडे, ज्योति उमक, मीना सोमकुंवर, उषा चारभे, आशा बोदलखंडे, वनीता कापसे ने अपने विचार रखे. 

    इनका भी मिला समर्थन

    आंदोलन को किसान नेता अरुण बनकर, स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के चंद्रेखर मौर्य, वोकेशनल टीचर्स एसोसिएशन अध्यक्ष युगल रायुलु, जनरल इंश्योरेंस एम्प्लाइज यूनियन के महासचिव प्रशांत दीक्षित ने भी संबोधित कर अपने संगठन की ओर से समर्थन दिया. प्रधानमंत्री  के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया. काले ने बताया कि केन्द्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ एक करोड़ नागरिकों का हस्ताक्षर कर निवेदन भेजने का निर्णय लिया गया.