Nagpur ST Bus Stand
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    नागपुर. एयरपोर्ट की तर्ज पर बसपोर्ट बनाने की सिर्फ घोषणाएं होती रही हैं. केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस पर पहल भी की थी लेकिन राज्य सरकार की रुचि इसमें नजर नहीं आ रही है. सिटी की बात करें तो यह स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है. सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था को भी स्मार्ट बनाने की नितांत जरूरत है. एयरपोर्ट अथॉरिटी अपने एयरपोर्ट का उपयोग निजी विमानन कंपनियों को भी करने देती है, उसके बदले उनसे शुल्क की वसूली करती है.

    इससे अथॉरिटी को बड़ी आय होती है जिसके उपयोग वह एयरपोर्ट मेंटेनेंस आदि के लिए करती है. ठीक इसी तर्ज पर ‘बसपोर्ट अथॉरिटी ऑफ महाराष्ट्र’ का गठन होना चाहिए और सारे एसटी स्टैंड का उपयोग निजी बसों व सिटी बसों के उपयोग के लिए मनपा को दिया जाना चाहिए. इसके बदले अथॉरिटी शुल्क लेगी और उसकी आय भी बढ़ेगी. 

    अब तो करनी होगी पहल

    सिटी में मेट्रो रेल की शुरुआत हो चुकी है और कुछ ही वर्ष में इसके सारे स्टेशन भी तैयार हो जाएंगे और विस्तार भी होगा. मेट्रो रेल की कनेक्टिविटी के लिए सिटी बस, ऑटोरिक्शा आदि के स्टैंड भी बनाए जा रहे हैं. जहां-जहां मेट्रो रेल का स्टॉपेज होगा, वहां यह सुविधाएं होंगी. ऐसी स्थिति में एमएसआरटीसी को भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी होगी. एयरपोर्ट अथॉरिटी की तर्ज पर बसपोर्ट अथॉरिटी बने और उसे प्लानिंग और अमल का पूरा अधिकार दिया जाए तो न केवल ऑरेंज सिटी, बल्कि राज्य की सभी सिटीज में सेवा स्तरीय हो सकने में मदद मिलेगी.

    फिलहाल एसटी मंडल के पास अपने बस स्टैंड को स्मार्ट बनाने की कोई पुख्ता योजना नहीं है. कुछ नवीनीकरण, प्लेटफार्म बढ़ाने आदि के कार्य ही हो रहे हैं. विस्तारीकरण के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है, ऐसा मंडल के अधिकारी खुद ही कहते हैं इसलिए गणेश पेठ स्टैंड के नवीनीकरण के सिवाय कोई दूसरा प्लान नहीं है. दूसरी ओर मोरभवन बस स्टैंड में भी कुछ प्लेटफार्म बढ़ाए गए हैं. इस जमीन के साथ पीकेवी की करीब 2.5 हेक्टेयर जमीन भी मंडल के पास है. मगर सही प्लानिंग के अभाव में इसका सही उपयोग नहीं हो रहा है. कुछ मार्गों की बसें यहां से इसलिए संचालित की जा रही हैं ताकि जमीन मनपा को न देना पड़े. 

    सिटी के भीतर स्टैंड की जरूरत नहीं

    सिटी प्लान में रुचि रखने वालों का कहना है कि एसटी मंडल के दोनों स्टैंड की जरूरत सिटी के भीतर नहीं है. वह सिटी के बाहर सरकार से जमीन लेकर वहां अपना टर्मिनल बनाएं और वहां से बसें संचालित करें. सिटी के भीतर से सवारियां लेने के लिए पिकअप और ड्राप प्वाइंट्स के तौर पर वह गणेशपेठ और मोरभवन का उपयोग कर सकते हैं. आज भी एसटी की बसें सिटी के सभी मार्गों पर चौराहों से सवारियां भरती नजर आती हैं. सभी मार्गों पर पिकअप व ड्राप प्वाइंट बनाने से यात्री को जहां से सुविधा होगी वहां से बस पकड़ सकता है. अभी तो सिटी के किसी भी कोने में रहने वाला हो उसे गणेशपेठ पहुंचना पड़ता है.

    MIDC में बने टर्मिनल

    एसटी महामंडल की एमआडीसी में बड़ी जमीन है. मंडल को तो मेट्रो सिटी के रूप में विकसित होते ऑरेंज सिटी का मुख्य बस टर्मिनल अपनी उस जमीन पर बनाना चाहिए. गणेशपेठ, मोरभवन बस स्टैंड में खड़ी करके रखी जाने वाली बसें वहीं से संचालित हों. इतना ही नहीं, डालडा फैक्टरी चौक का डिपो व डीजल पंप भी यहां से हटाकर एमआईडीसी ले जाना चाहिए. बसों का मेंटेनेंस वहीं से हो सकता है. सिटी के भीतर की इन जगहों का उपयोग बसपोर्ट की तरह करें तो घाटे में चल रहे मंडल की आय बढ़ेगी और सिटी की पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा भी स्मार्ट हो जाएगी.

    बसपोर्ट अथॉरिटी ऑफ महाराष्ट्र बने

    जिस तरह एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया है और उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले एयरपोर्ट का अन्य कंपनियों के विमान भी उपयोग करते हैं. उसके बदले अथॉरिटी को उन कंपनियों से शुल्क के रूप में आय होती है. ठीक इसी तर्ज पर बसपोर्ट अथॉरिटी ऑफ महाराष्ट्र (BAM) का गठन किया जाना चाहिए. यह कहना है विनोद मेडिकल प्रा.लि. के मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव अनिमेश चांडक का. चांडक कहते हैं कि नागपुर ग्रोविंग सिटी है. मगर यहां सबसे पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा को स्मार्ट बनाने की जरूरत है. सिटी के भीतर एसटी बस स्टैंड या मेंटेनेंस डिपो की जरूरत ही नहीं है.

    सिटी के बाहर यह हो सकते हैं और सिटी के विविध पिकअप प्वाइंट से सवारियों को लिया व छोड़ा जा सकता है. जो एसटी स्टैंड और मोरभवन की जमीन है उसे तो सिटी बस और निजी ट्रैवल्स की बसों को भी उपयोग करने देना चाहिए और उनसे इसके लिए शुल्क लिया जा सकता है. इससे एसटी मंडल की आय भी बढ़ेगी. इससे सिटी की सड़कों के किनारे खड़ी रहने वाली बसों से जो ट्रैफिक की समस्या हो रही है उससे भी छुटकारा मिलेगा. 

    जाम और प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति

    व्यवसायी जितेन्द्र शुक्ला का कहना है कि बस स्टैंड से निकलते ही जाम का सामना करना पड़ता है. यहां हर मिनट बसें आती-जाती हैं जिससे यहां जाम लगा ही रहता है. बसों से निकलने वाला धुआं भी सिटी की आबोहवा को प्रदूषित करता है. साउंड पॉल्यूशन अलग होता है. यदि बस स्टैंड सिटी के बाहर हो तो किसी को कोई परेशानी नहीं होगी. जो बस स्टैंड है उसका उपयोग पिकअप व ड्राप प्वाइंट की तरह किया जा सकता है. इसकी जगह को सिटी व निजी ट्रैवल्स को भी उपयोग के लिए दिया जा सकता है जिसके बदले एसटी मंडल शुल्क ले. उनका कहना है, एयरपोर्ट अथॉरिटी की तर्ज पर बसपोर्ट अथॉरिटी बनाने और उसका उपयोग सभी रोड परिवहन के साधनों को करने देने का आइडिया स्मार्ट है.