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    नागपुर. मिसाइल के एक अहम हिस्से के लिए अब भारत को रूस पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. नागपुर के सोलर ग्रुप की कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (ईईएल) सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस में इस्तेमाल होने वाले बूस्टर के 2 यूनिट ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) को दिए हैं. अब तक यह बूस्टर भारत को रूस से खरीदना पड़ता था.  बीएपीएल एक इंडो-यूएस जॉइंट वेंचर है. हैदराबाद और नागपुर में इसके यूनिट हैं.

    इन यूनिट्स में ब्रह्मोस मिसाइल के छोटे वर्जन पर भी काम चल रहा है. इनका साइज वर्तमान ब्रह्मोस से तीन गुना छोटा होगा और ये 300 किलोमीटर तक हमला कर सकेगी. वहीं ईईएल बूस्टर बनाने वाली भारत की पहली कंपनी है. इस कंपनी को 20 बूस्टर बनाने का ऑर्डर मिल चुका है. बीएपीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अजीत राणा ने कहा कि कंपनी से और ज्यादा उम्मीद है. हो सकता है भविष्य में यह ज्यादा बूस्टर बनाने में सक्षम हो. उन्होंने कहा कि कंपनी को महीनेभर में कम से कम 8 बूस्टर की जरूरत पड़ेगी.

    राणे ने कहा कि बूस्टर मिसाइल बनाने के लिए थ्री प्रॉसेस कंपोनेंट का हिस्सा है. इसे रूस से मंगाया जाता था. मिसाइल में सीकर, सस्टेनर इंजन और बूस्टर की शुरुआत में ही जरूरत होती है. अब ये बूस्टर भारत में ही उपलब्ध हो जाया करेंगे. वहीं सोलर ग्रुप के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल ने कहा कि जल्द वॉरहेड बनाने का भी काम शुरू होगा.

    2018 में सोलर ग्रुप के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी हुआ था. नुवाल ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के लिहाज से बहुत बड़ी उपलब्धि है. मिसाइल के इंजन को एक निश्चित गति देने के लिए बूस्टर का इस्तेमाल होता है. इससे पहले ईईई ने देसी 300 एमएम कारतूस भी भारतीय सेना को दिए थे. इनका इस्तेमाल शिप पर एयर डिफेंस के लिए होता है.