नागपुर. नागपुर से मलकापुर तथा वर्धा से सिंदखेड़राजा राष्ट्रीय महामार्ग की दुर्दशा को लेकर अधि. अरुण पाटिल की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान अधि. फिरदौस मिर्जा ने कहा कि राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने इस मार्ग का कायाकल्प तो नहीं किया, अलबत्ता अब नागपुर-अमरावती महामार्ग की भी दुर्दशा उजागर हो रही है.
महामार्ग से गुजरने वाले प्रत्येक वाहन से जमकर टोल तो वसूला जा रहा है लेकिन सड़क की दुरुस्ती नहीं हो रही है. फलस्वरूप जहां-तहां गड्ढे पड़े हुए हैं. सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने नागपुर-मलकापुर के साथ ही नागपुर-अमरावती रोड वाहनों के चलने योग्य कब तक पूरा होगा, इसकी रिपोर्ट फोटो सहित प्रस्तुत करने के आदेश राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण को दिए.
सुधार का दें टाइम टेबल
सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि पूर्व का एनएच-6 और वर्तमान में एनएच-53 महामार्ग पर लंबे समय से दुरुस्ती का काम किया जा रहा है. यहां तक कि गत 6 वर्षों से चौड़ाईकरण का काम किया जा रहा है किंतु सुधार की जगह लगातार बदतर होता दिखाई दे रहा है. याचिकाकर्ता के अनुसार अब तो कई स्थानों पर रोड ही दिखाई नहीं दे रहा है. इस महामार्ग के अलावा नये सिरे से नागपुर-अमरावती महामार्ग की दुर्दशा उजागर हो रही है.
जहां बड़े-बड़े गड्ढे होने से बड़ी दुर्घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. यहां तक कि जानमाल के नुकसान की संभावना भी याचिकाकर्ता की ओर से जताई गई. सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण की ओर से इस संदर्भ में जवाब दायर करने के लिए समय देने का अनुरोध किया गया. अदालत ने समय देने से सहमति तो जताई किंतु इन दोनों महामार्गों का सुधार कब तक पूरा होगा इसके प्लान सहित टाइम टेबल देने का निर्देश एनएचएआई को दिया.
महामार्ग पर हैं 1,976 गड्ढे
गत सुनवाई के दौरान अधि. मिर्जा ने अदालत को बताया कि एनएचएआई और महामार्ग के निर्माण की जिम्मेदारी संभाल रहे पीडब्ल्यूडी विभाग के राष्ट्रीय महामार्ग विभाग की ओर से भले ही निर्माण को सुनिश्चित किया जा रहा हो लेकिन वर्तमान में महामार्ग का कुछ हिस्सा चलने लायक नहीं है. वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए इसे चलने लायक बनाना अनिवार्य है.
अदालत का मानना था कि रिपोर्ट में भी इस महामार्ग पर 1,976 गड्ढे होने का खुलासा किया गया है. इसकी भयावहता देखते हुए सर्वप्रथम इन गड्ढों को समतल कर मार्ग को चलने लायक करना जरूरी है. सुनवाई के बाद एनएचएआई के वकील की ओर से इस संदर्भ में अगली सुनवाई के दौरान खुलासा करने का आश्वासन दिया गया.