नागपुर. राशन दूकानों तक अनाज पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट नीति तैयार कर राज्य सरकार ने 15 जनवरी 2021 को अधिसूचना जारी की थी. राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. सुनवाई के दौरान जनहित याचिका पर ही सरकारी पक्ष ने सवाल उठाए. इस संदर्भ में हलफनामा दायर करने के लिए समय देने का अनुरोध याचिकाकर्ता ने किया. इसके बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने 17 अगस्त तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.
कहां से प्राप्त हुए दस्तावेज?
राज्य सरकार के अन्न व सार्वजनिक वितरण विभाग की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि जनहित याचिका में जिन दस्तावेजों के आधार पर दावा किया जा रहा है. ये दस्तावेज कहां से प्राप्त किए गए? इसका खुलासा याचिकाकर्ता ने नहीं किया है जिससे याचिकाकर्ता के माध्यम से किसी गलत उद्देश्य से जनहित याचिका दायर किए जाने का संदेह हो रहा है. सरकारी पक्ष का मानना था कि राज्यभर में अलग-अलग हिस्सों में राशन दूकानों पर अनाज के वितरण की प्रक्रिया पूरी की जाती है जिसके लिए बाकायदा टेंडर जारी होते है. ऐसे में टेंडर की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नीति तैयार की गई है लेकिन जो आंकड़े याचिकाकर्ता ने दिए हैं इसकी वास्तविकता उजागर होना जरूरी है. प्रतिवादी पक्ष की ओर से उठाई गई आपत्ति को लेकर ही हलफनामा दायर करने की इच्छा याचिकाकर्ता ने जताई.
चुनिंदा ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का संदेह
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील का मानना था कि वर्ष 2012 से ही नीति बदलने की प्रक्रिया चलाई जा रही थी. अब जाकर नीति को बदला गया है. नई नीति के अनुसार पारदर्शिता खत्म हो गई है. हालांकि साफ-सुथरी स्पर्धा का हवाला देकर केवल चुनिंदा ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नीति तैयार होने का संदेह हो रहा है जिनके पास सर्वाधिक ट्रक हों, उनके लिए ही वर्तमान नीति लाभदायक है. वे ही इस स्पर्धा में हिस्सा ले सकेंगे. इस तरह से जिनके पास अधिक ट्रक हैं, उन्हें की ठेका प्राप्त हो इसका ध्यान रखा जा रहा है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.