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    नागपुर. कोरोना की वजह से बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से बोर हो गए हैं. पिछले वर्ष परीक्षा भी नहीं हुई थी. इस बार भी परीक्षा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है. यही वजह है कि अब बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है. पहली से लेकर 8वीं तक बच्चों की स्थिति यह हो गई है कि ऑनलाइन क्लास खत्म होने के बाद भी हाथ से मोबाइल नहीं छूटता. पढ़ाई के बाद ऑनलाइन गेम में व्यस्त हो जाते हैं. न खाने की फिक्र होती है और न ही सोने की. अब तो पेरेंट्स भी कहने लगे हैं कि ‘बच्चे ढीठ हो गए हैं, हमारी भी नहीं सुनते.’ 

    राज्य में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा नया आदेश जारी कर 15 फरवरी तक राज्य के सभी स्कूल और महाविद्यालय बंद रखने का आदेश दिया गया है. ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों का शैक्षणिक नुकसान न हो, इसलिए ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर अनेक बच्चे ऑनलाइन शिक्षा लेने की बजाय ऑनलाइन गेम खेलकर अपना समय बिता रहे हैं. जिले के शहरी क्षेत्र समेत ग्रामीण अंचल में भी इन दिनों छात्र ऑनलाइन गेम में व्यस्त दिखाई दे रहे हैं जिससे इस जिले में ऑनलाइन शिक्षा पर कड़ाई से अमल नहीं हो रहा है. शिक्षा विभाग से इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की अपेक्षा जताई जा रही है.

    2 वर्ष के बाद फिर वही मंजर

    2 वर्ष पहले देश समेत राज्य में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के कारण राज्य में स्कूल और महाविद्यालय बंद रखने की नौबत आ गई थी. करीब 2 वर्षों तक छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा लेकर अपनी शिक्षा पूर्ण करनी पड़ी थी. ऐसे में कुछ ही माह पहले राज्य सरकार के आदेश के बाद राज्य के स्कूल और महाविद्यालय पूर्ववत शुरू किए गए थे. लेकिन अल्प अवधि में ही कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दोबारा स्कूल, महाविद्यालय बंद रखने का आदेश दिया गया है जिससे दोबारा वही मंजर निर्माण हो गया है. 

    अब शिक्षकों को ही करनी पड़ेगी पहल

    कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्कूल, महाविद्यालय बंद रखे गये थे. ऐसे में जिन गांवों में इंटरनेट सुविधा नहीं है, ऐसे गांवों के छात्रों का शैक्षणिक नुकसान न हो इसलिए विभिन्न स्कूलों के शिक्षक स्वयं छात्रों के घरों में पहुंचकर उन्हें शिक्षा दे रहे थे. इस बार भी इसी तरह के उपाय  शिक्षकों को करना जरूरी है.