‘सिटी की सरकार’ तय करेगी जनता; सभी दलों की घोषणा, मुद्दों में उलझी पार्टियां

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    नागपुर. चुनाव आयोग की ओर से प्रभाग रचना को लेकर जारी निर्देशों के बाद मनपा के आम चुनाव को लेकर उलटी गिनती शुरू हो गई. वास्तविक चुनावी कार्यक्रम के लिए केवल डेढ़ माह का समय बचा होने से लगभग सभी राजनीतिक दल मुद्दों को खंगालने में लगे हुए है. ‘नवभारत संवाद’ में पहुंचे लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सिटी के लिए विकास का एजेंडा तय होने का दावा तो किया, किंतु संवाद के दौरान हमेशा की तरह मुद्दों को लेकर उलझे रहे. हालांकि मनपा के आम चुनावों में जनता ही ‘सिटी की सरकार’ तो तय करेगी, किंतु संवाद में सभी दलों के नेताओं ने जनहित में ही पार्टियों के कार्य चलने का दावा भी किया.

    चर्चा के दौरान जहां मूलभूत सुविधाएं देने में सत्तापक्ष भाजपा पूरी तरह असफल होने का आरोप विपक्षी दलों ने लगाया, वहीं घोषणापत्र के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत वादे पूरे करने का दावा सत्तापक्ष की ओर से किया गया. वास्तविक रूप में कितनी सेवा-सुविधाएं अंतिम व्यक्ति तक पहुंची है, इसका आकलन तो मतदाता करेगा, किंतु दलों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है.

    सुविधाओं से वंचित मतदाता

    शहर कांग्रेस अध्यक्ष एवं विधायक विकास ठाकरे ने कहा कि 15 वर्षों से मनपा में भाजपा की सत्ता है. चुनाव में जाते समय घोषणापत्र में जो वादे किए गए थे, वह पूरे नहीं किए गए. जनता के हाथों निराशा लगी है. घोषणापत्र में भले ही योजनाएं दिखाई गई हों, लेकिन वास्तविक रूप में योजनाएं पूरी हुईं क्या?. इसका आकलन करना होगा. ऑरेंज स्ट्रीट, 24×7 योजना, कचरा मुक्त शहर जैसी कई योजनाएं थीं. जनता पूरी तरह त्रस्त है. शहर के हर हिस्से में गटर लाइन पूरी तरह चोक है.

    बस्तियों में लाईंटे नहीं हैं. रात में कुत्तों के आतंक से जनता परेशान है. भरतनगर जैसे इलाकों में तो लोग बंदरों से परेशान है. निश्चित ही पश्चिम नागपुर में विकसित दिखाई देता है, किंतु यहीं सिटी नहीं है. मतदान करने जानेवाले स्लम के व्यक्ति को सुविधा मिलनी चाहिए. आनेवाले चुनाव में यहीं मुद्दे होंगे. जनता भी सत्तापक्ष से जवाब मांगेगी.

    एक राष्ट्र, एक कर की कार्यप्रणाली केंद्र ने घोषित की. जिसके अनुसार 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है. इसके अलावा मनपा लोगों से अलग-अलग टैक्स वसूल रही है. जनता से वसूली जा रही निधि कहां खर्च हो रही, कोई हिसाब-किताब नहीं है. टैंकर मुक्त शहर का सपना दिखाया गया था. इसका क्या हुआ, सत्तापक्ष को जवाब देना होगा.

    80% योजनाएं पूरी, 20 पर चल रहा काम

    सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे ने कहा कि 15 वर्षों से केवल विकास एजेंडा पर ही काम चल रहा है. वर्ष 2007 में पहली बार सत्ता में आने के बाद जो योजनाएं तैयार की थीं. उसमें से अब तक 80 प्रतिशत पूरी हो चुकी है. जबकि 20 प्रतिशत योजनाओं पर काम चल रहा है. मूलभूत सुविधाएं कभी खत्म नहीं होनेवाली समस्याएं है. शहर का लगातार विस्तार हो रहा है. जिससे हर समय नई समस्याएं तैयार हो रही है. जिसे पूरी ताकत से हल करने में मनपा जुटी हुई है.

    पहली बार बजट से अधिक 42 करोड़ रु. का अतिरिक्त प्रावधान सड़कों के लिए किया गया है. कोरोना के कारण कई विकास कार्यों पर निश्चित ही असर पड़ा है. इसके बावजूद 30 करोड़ सीवरेज और 200 करोड़ रु. सड़कों के निर्माण पर खर्च किए गए. 24×7 योजना पर वास्तविक रूप में वर्ष 2017 में काम शुरू हुआ. 2022 तक एक्सटेंशन दिया है.

    65 प्रतिशत क्षेत्र में 24×7 का काम पूरा हो चुका है. पहले 340 एमएलडी पानी की सप्लाई होती थी. अब 780 एमएलडी पानी दिया जा रहा है. मनपा के चुनाव में विकास ही भाजपा का एजेंडा होने की जानकारी उन्होंने दी. स्मार्ट सिटी, एसटीपी प्लांट, बगीचों का कायाकल्प हो रहा है.

    भाजपा का दोहरा चाल-चरित्र

    राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शेखर सावरबांधे ने कहा कि यदि आर्थिक स्थिति ठीक है, तो स्थानीय निकाय संस्था का कारोबार अच्छा है. इसी आधार पर मनपा और शहर विकास का आकलन हो सकता है. वर्तमान स्थिति इसके विपरीत है. वर्ष 2007 से लगातार मनपा की आर्थिक स्थिति खराब होती आ रही है. यहीं कारण है कि विकास के कामों पर इसका असर पड़ता है. आय के स्रोत को लेकर मनपा ने कई निर्णय लिए, किंतु सभी प्रयोग फंस गए.

    सर्वाधिक आय के स्रोत टैक्स में निजी कम्पनियों को काम सौंपा गया, किंतु विवाद बढ़ गए. आय घटने से इसका सीधा असर अर्थतंत्र पर पड़ा. राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने ग्राउंड रेंट में वृद्धि का निर्णय लिया था. जिसका हश्र यह रहा कि जिसका ग्राउंड रेंट 400 रु. था, वह सीधे 3 लाख तक पहुंच गया. अब राज्य में सत्ता बदलते ही हाल ही में मनपा की सभा में इसके विपरीत निर्णय लिया गया. इस तरह से भाजपा का दोहरा चाल-चरित्र उजागर हुआ है.

    नगर रचना का हाल यह है कि केवल 1,500 वर्ग फुट पर 2 मंजिला घर बनाने का नक्शा मंजूरी के लिए 9 लाख रु. का डिमांड दिया जा रहा है. एनआईटी बर्खास्त करने का डंका पीटा जाता है. किंतु वास्तविक यह है कि कानून ही रद्द नहीं किया गया. एनआईटी का मुद्दा अधमरे सांप जैसा छोड़ दिया था.जिससे लोगों को परेशानी होती रही. सत्तापक्ष की कार्यप्रणाली को लेकर मतदाताओं में रोष है. 

    निष्क्रिय कार्यशाला का स्थल है मनपा

    मनसे नेता हेमंत गडकरी ने कहा कि करदाताओं के पैसों से महानगर पालिका का कारोबार चलता है लेकिन इन करदाताओं को कुछ नहीं मिला. यदि सत्तापक्ष भाजपा और विपक्ष कांग्रेस की कार्यप्रणाली देखी जाए, तो निष्क्रिय कार्यशाला का मनपा केवल एक स्थल है. केवल लुभावने शब्दों का जाल रचकर योजनाएं घोषित की जाती है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कारण मनपा में भाजपा के 108 पार्षद चुनकर गए लेकिन पार्षद काम ही नहीं कर रहे हैं.

    पूर्व नागपुर के कई इलाकों में अभी भी न तो सड़कें हैं और न ही बिजली और पानी की सुविधा हैं. गांव से बदत्तर हालत इन हिस्सों की है. सत्तापक्ष 24×7 योजना का डंका पीट रही है लेकिन पानी के लिए लोगों के घरों के सामने ड्रम रखे रहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विधानसभा क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम स्थित गायत्रीनगर में अघोषित डंपिंग यार्ड बना हुआ है. पिछले 2 वर्ष पहले दिल्ली से लेकर गली तक भाजपा की सरकार रही.

    विकास करने से इन्हें किसने रोका था. इसका जवाब जनता को देना पड़ेगा. केवल जनता को भ्रमित करने का काम किया गया है. जिसमें काम करने की ललक हो, उसे ही जनता ने मनपा में भेजना चाहिए. आलम यह है कि वर्तमान कार्य पद्धति के कारण पार्षद शब्द से ही लोगों का विश्वास उठ गया है. सत्तापक्ष की स्थिति ‘नाम बड़े और दर्शन खोटे’ जैसी हो गई है. स्मार्ट सिटी केवल नाममात्र योजना होने का आरोप भी उन्होंने लगाया.

    …तो BMC जैसी होगी NMC

    शिवसेना के नेता नितिन तिवारी ने कहा कि शिवसेना के कारण मुंबई महानगर पालिका दुनिया में वैभवशाली है. यदि शिवसेना को मौका दिया गया, तो नागपुर महानगर पालिका को भी बीएमसी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा. गडकरी के नाम के पीछे भाजपा मतिभ्रम कर रही है. अधिकांशत: केंद्र और राज्य सरकार की निधि से विकास हो रहा है. किंतु मनपा इसे अपने नाम जोड़ रही है. जबकि मूलरूप से मनपा की उपलब्धि जीरो है. शिक्षा की स्थिति ऐसी है कि स्कूल गोठे बन गए हैं. कहीं पर कबाड़ बना हुआ है.

    स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी तरह धज्जियां उड़ी हैं. योजनाएं तो घोषित कर दी गईं, किंतु नियोजन नहीं होने से धरातल पर दिखाई नहीं देती है. 24×7 का डंका पीटा जाता है. यदि वास्तविक रूप में 65 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है तो 22 लाख लोगों को 24 घंटा पेयजल मिलना चाहिए था लेकिन लोगों को आधा घंटा भी पानी नहीं मिल रहा है. स्मार्ट सिटी योजना में जिन लोगों की जमीनें गई, उनका पुनर्वास तो नहीं हुआ, उलटे उनके सिर से आसरा छीन गया है.

    यहां तक कि एक ही योजना में जमीन जाने के बावजूद लोगों को अलग-अलग दरों से मुआवजे दिए जा रहे हैं. मनपा में ठेकेदार राज चलने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष कंबल ओढ़कर घी खाने का काम कर रही है. कचरा मुक्त शहर की योजना में भ्रष्टाचार होने के बाद जांच की नौटंकी हो रही है.

    इससे ध्यान हटाने के लिए क्यूआर कोड की नई स्कीम लाई गई. क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए मनपा के पास कर्मचारी नहीं होने का हवाला देकर फिर एक नई कम्पनी को ठेका देने का षड्यंत्र होगा. सिक्योरिटी गार्ड में घोटाले है. जिस कम्पनी को काम दिया गया, उसी कम्पनी के मुखिया के परिजन काम कर रहे हैं. रात में 4 की जगह 2 ही गार्ड नियुक्त रहते हैं. जबकि 4 का वेतन निकलता है. 

    बहुमत के आधार पर चल रही मनमानी

    मनपा में विपक्ष के नेता तानाजी वनवे ने कहा कि विपक्ष के रूप में कांग्रेस ने हर मुद्दे पर अपनी भूमिका निभाई है. किंतु बहुमत के आधार पर हर मुद्दे पर सत्तापक्ष भाजपा की मनमानी चल रही है. शहर के कुछ इलाकें ऐसे हैं, जहां की जनता सड़कों की खुदाई के बाद निकलनेवाला स्क्रैप मांगकर अपने क्षेत्रों की सड़कें बनाने की मांग करते हैं. इस तरह की दुर्दशा पूर्व नागपुर के कई इलाकों में हैं. शहर के लगभग हर हिस्से में सीवरेज की विकराल स्थिति है लेकिन इस दिशा में 15 वर्षों में कोई काम नहीं किया गया.

    मनपा के मुख्य स्रोत टैक्स में नियमित रूप से काम होता था किंतु इसका निजीकरण कर साइबर टेक नामक कम्पनी को काम सौंप दिया गया. जिसमें 99 प्रतिशत सर्वे गलत रहे. जनता अभी तक परेशान है. टैक्स और म्यूटेशन करने के लिए पैसे देने पड़ते हैं. बाजार विभाग पूरी तरह बंद जैसा है. बाजारों में दूकानदारों से टैक्स लेकर आय बढ़ाने के बदले अवैध बाजार बताकर रोजगार से वंचित किया जा रहा है. कचरा संकलन का काम भी निजी कम्पनी को देकर रोजगार खत्म कर दिए गए.

    कचरा गाड़ी नियमित रूप से तो नहीं आती, किंतु कम्पनी को भुगतान नियमित हो रहा है. सीमेंट रोड जैसे महत्वकांक्षी प्रकल्प की हालत यह है कि कई सड़कें अभी से दम तोड़ रही है. स्मार्ट सिटी का आलम यह है कि जिस जगह पर स्मार्ट सिटी के शुभारंभ का कार्यक्रम लिया गया, उसी जगह की सड़क अब तक नहीं बन पाई है.

    स्मार्ट सिटी के लिए चिन्हांकित क्षेत्र में गांव जैसा चित्र है. योजना के नाम पर डंका पीटकर लोगों को मूर्ख बनाने का काम किया जा रहा है. सरकार की बैसाखियों पर मनपा जिंदा होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि यदि निधि आना बंद हो, तो वेतन के लाले पड़ जाएंगे. 42 करोड़ अतिरिक्त निधि मंजूर करने का दावा हो रहा है. जबकि वास्तविकता यह है कि इसमें जो भी कार्य सुझाए गए, उसमें से एक भी काम का टेंडर नहीं हो पाया है.