7 वर्ष तक फेफड़े में अटकी रही लौंग, डाक्टरों ने बिना चीरफाड़ कर निकाली

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    नागपुर. 36 वर्षीय अनुषा को 2-3 वर्षों से खांसी की परेशानी थी लेकिन इन दिनों शिकायत बढ़ गई थी. वजन कम होने लगा था. साथ ही छाती में दर्द और थूक से रक्त भी निकलने लगा था. इंदौर के एक डॉक्टर ने सिटी स्कैन कर कैंसर की संभावना व्यक्त की थी. सिटी के श्वसनविकार विशेषज्ञ डॉ. अशोक अरबट ने कैंसर की संभावना को नकाराते हुए फेफड़े में कोई वस्तु अटकने की बात बताई. ब्रोन्कोस्कोपिक क्रायो बायप्सी, डायलेटेशन और फॉरेन बॉडी रिमुअल प्रक्रिया के माध्यम से महिला के फेफड़े में फंसी लौंग बाहर निकाली.

    इस ऑपरेशान में किसी भी तरह के चीरफाड़ की भी जरूरत नहीं पड़ी. मुंह से फेफड़े में ब्रॉन्कोस्कोप द्वारा प्रक्रिया पूरी की गई. लौंग निकलने के बाद परिजनों ने भी राहत की सांस ली. परिजनों ने बताया कि जब कैंसर की संभावना व्यक्त की गई तो सभी टेंशन में आ गये थे.

    खांसी व दम कम नहीं होने से चिंता भी बढ़ने लगी थी. डॉ. अशोक अरबट के मार्गदर्शन में डॉ. स्वप्निल बाकमवार, डॉ. परिमल देशपांडे, डॉ. आशुतोष जायसवाल ने सफल प्रक्रिया की. डॉ. अरबट ने बताया कि 36वें वर्ष में कैंसर की संभावना कम ही होती है. लौंग निकलने के बाद फेफड़े के उस हिस्से को साफ किया गया.