Nagpur Vidhan Bhavan

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    नागपुर. सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार अब सोमवार को लोकायुक्त तथा उसके कार्य क्षेत्र को निर्धारित करने के लिए विधानसभा में विधेयक रखा जाएगा. उल्लेखनीय है कि लोकायुक्त के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव के अनुसार सीएम समिति ही लोकायुक्त के नाम की सिफारिश करेगी. हालांकि इस समिति में अन्य भी प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे लेकिन इसमें अधिकांश सदस्य राजनीतिक परिप्रेक्ष्य के होंगे. जिससे लोकायुक्त के बिल पर पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर घमासान होने की संभावना जताई जा रही है. सदन के कामकाज में चल रहे गतिरोध के बीच आ रहे इस बिल को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है.

    उल्लेखनीय है कि शीत सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार ने लोकायुक्त को लेकर भूमिका स्पष्ट की थी. जिसमें लोकायुक्त द्वारा मुख्यमंत्री से लेकर तमाम जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई की स्वतंत्रता होने का खुलासा किया गया था. अब सीएम की समिति द्वारा भी लोकायुक्त की नियुक्ति होने से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

    समिति की रूपरेखा

    अधिनियम के अनुसार राज्यपाल को लोकायुक्त चयन के लिए समिति नियुक्त करने का अधिकार होगा. चयन समिति की सिफारिश होने के बाद अध्यक्ष और अन्य सदस्यों का चयन होगा. समिति की रूपरेखा के अनुसार अध्यक्ष सीएम रहेंगे. जबकि उपाध्यक्ष उपमुख्यमंत्री होंगे. सदस्यों में विधान परिषद सभापति, विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद के विपक्ष नेता, विधानसभा के विपक्ष नेता, मुंबई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नाम निर्देशित मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहेंगे. यह समिति लोकायुक्त अध्यक्ष या सदस्यों के चयन के लिए स्वयं की कार्यपद्धति नियमित करेगी. समिति में अध्यक्ष या किसी सदस्य का पद रिक्त होने पर इस पद को 3 माह के भीतर भरा जाएगा. किसी को इस्तीफा देना हो तो राज्यपाल के नाम स्वयं के हस्ताक्षर से लिखित इस्तीफा देना होगा. 

    भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की आशा

    -बताया जाता है कि लोकायुक्त कानून लागू होने पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की आशा जताई जा रही है. लोकायुक्त के दायरे में जनप्रतिनिधि के साथ ही लोक कार्याधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित शिकायत की जांच का अधिकार इस लोकायुक्त कानून के माध्यम से प्रदान किए जाएंगे. 

    -केंद्र सरकार के लोकपाल व लोक आयुक्त अधिनियम, 2013 की तर्ज पर ही महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून बनाया जा रहा है. राजनीतिक लोगों के भ्रष्टाचार संबंधित जांच करने के लिए लोकायुक्त कानून को मील का पत्थर माना जा रहा है. 

    -केंद्र में लोकपाल कानून बनने के बाद यह कितना कारगर रहा, यह भले ही चर्चा का विषय रहा हो लेकिन महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून बनने के बाद कुछ हद तक इसका असर होने की संभावना जताई जा रही है. 

    कौन हो सकेंगे लोकायुक्त

    -उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सुको के सेवानिवृत्त न्यायाधीश

    -उच्च न्यायालय के 2 न्यायाधीशों सहित कुल 5 लोगों का होगा समावेश.

    -लोकायुक्त के समक्ष आईं शिकायतों की सुनवाई 2 न्यायाधीशों की खंडपीठ के समक्ष होगी. 

    -किसी मामले में सरकार का जवाब नहीं होने पर भी लोकायुक्त को फैसला देने का अधिकार होगा.