Vanchit, Ravi Shende

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    नागपुर. डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर द्वारा धम्म की दीक्षा लेने के बाद राज्य सरकार ने भारतीय बौद्ध महासभा को दीक्षाभूमि की जगह आवंटित की थी. दीक्षाभूमि पर स्मारक का निर्माण कार्य करने के लिए स्मारक समिति का गठन किया गया. किंतु स्मारक समिति ने ही इस पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है. इसके विपरीत वर्षों से वही लोग स्मारक समिति में पदाधिकारी हो रहे हैं. एकाधिकार होने के कारण अब दीक्षाभूमि का दुरुपयोग हो रहा है. यह आरोप वंचित बहुजन आघाड़ी के शहर अध्यक्ष रवि शेंडे ने पत्र-परिषद में लगाया. उन्होंने कहा कि धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस विश्व स्तर का धम्म कार्यक्रम होता है. पूरी तरह धार्मिक कार्यक्रम होने के कारण मंच पर बौद्ध विद्वानों को स्थान मिलना चाहिए किंतु विपरीत विचारधारा के लोगों को स्थान दिया जा रहा है. डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर और गोलवलकर की विचारधारा एकदम विपरीत है. फिर भी उसी विचारधारा के लोगों को आमंत्रित किया गया है.

    ऐसे लोग बुद्धिज्म क्या सिखाएंगे?

    उन्होंने कहा कि देश-विदेश से लोग धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर दीक्षाभूमि आते हैं. यहां होने वाले कार्यक्रम से मार्गदर्शन लेना चाहते हैं लेकिन जिन लोगों को कार्यक्रम में बुलाया गया, उनका बुद्धिज्म से दूर-दूर तक संबंध नहीं है. ऐसे लोग बुद्धिज्म क्या सिखाएंगे? केवल घोषणाएं कर लाभ पहुंचाने का दिखावा भर किया जाता है जिसमें दीक्षाभूमि स्मारक समिति सहयोग कर रही है. समिति के सचिव सुधीर फुलझेले पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनके पिता सचिव थे. उसके बाद से लगातार इसी परिवार का कब्जा है. समिति का चुनाव हर वर्ष कैसे होता है? समिति का कार्यभार कैसे चलाया जाता है? इसकी पूरी जानकारी बौद्ध समाज को होनी चाहिए. लोगों की आस्था का प्रश्न है. अत: अब तक समिति द्वारा किए गए कार्य की जांच करने की मांग भी शेंडे ने की.

    ED-CBI से बचने और राजनीतिक लाभ की लालसा

    उन्होंने कहा कि समिति ने दीक्षाभूमि का अब तक जो व्यावसायिक दोहन किया है, उस संदर्भ में किसी तरह की अड़चन पैदा न हो तथा ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों से बचने के लिए भाजपा के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है. इसी तरह से किसी तरह विधायिकी मिल जाए यह भी उद्देश्य है. दीक्षाभूमि किसी भी तरह से संघ के कब्जे में न जाए, इसका पुरजोर विरोध होता रहेगा. उन्होंने कहा कि फुलझेले ने हाल ही में वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष बालासाहब आम्बेडकर पर विवादित टिप्पणी की है जिसका पहले ही निषेध किया गया है, फिर भी इसके खिलाफ अब 8 अक्टूबर की दोपहर 1 बजे दीक्षाभूमि गेट पर निषेध आंदोलन भी किया जाएगा.