
- राज्य सरकार को HC का आदेश
नागपुर. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें शहर में कोरोना संक्रमण के प्रसार के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया गया. जस्टिस रवि देशपांडे और जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला की बेंच ने सुनवाई के बाद कहा कि नागपुर में कोरोना संक्रमण की स्थिति विकट हो गई है.
ऐसे में राज्य सरकार के लिए सीधे हस्तक्षेप करने का समय आ गया है. ऐसे में राज्य सरकार को यह बात बतानी चाहिए कि मुंबई की तर्ज पर यहां जम्बो हास्पिटल संभव है या नहीं. हाईकोर्ट ने कहा कि नागपुर के एम्स, मेयो या मेडिकल हास्पिटलों की क्षमता बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. ताकि कोरोना महामारी की समाप्ति के बाद उन सुविधाओं को बर्बाद न किया जाए.
प्राइवेट हास्पिटलों में इलाज सामान्य नागरिकों के लिए काफी महंगा है. ऐसी स्थिति में, राज्य सरकार को नागपुर में ऐसे अस्पताल स्थापित करने चाहिए जहां सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हों. यदि बिल क्षमता से बाहर है तो राज्य सरकार को लागत वहन करना चाहिए. ताकि इलाज के अभाव में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मौत ना हो.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह निजी अस्पतालों में दवाओं और सभी प्रकार के परीक्षणों की जिम्मेदारी ले. इस बारे में विभागीय आयुक्त और एफडीए आयुक्त को नजर बनाये रखने के निर्देश दिये. उच्च न्यायालय ने मनपा और जिला प्रशासन को प्राइवेट टेस्टिंग लैब में भी दरें तय करने का निर्देश दिया.
राज्य के बाहर से आये मरीजों की व्यवस्था करें
मनपा ने उच्च न्यायालय को बताया कि जिले के अलावा नागपुर में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के कोरोना रोगी पहुंच चुके हैं. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि नागपुर एक मेडिकल हब था. आवासीय क्षेत्रों सहित पूरे शहर में अस्पताल हैं. ऐसे में राज्य के बाहर के संक्रमित मरीज भी इन रिहायशी इलाकों के अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचते हैं जो लोगों को संक्रमण के खतरे में डालता है.
ऐसे मामलों में प्रशासन को व्यवस्था करनी चाहिए ताकि बाहरी मरीजों का इलाज शहर सीमा पर स्थित हास्पिटलों में किया जा सके ताकि उन्हें शहर के रिहायशी इलाकों में प्रवेश न करना पड़े. सुनवाई के दौरान एडवोकेट श्रीरंग भंडारकर अदालत मित्र के रूप में मौजूद रहे.