A big train accident was averted on the Delhi-Mumbai route due to the shepherd's understanding, alerted by waving red cloth on time
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    नागपुर. कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) मनोज अरोड़ा के नेतृत्व में मुंबई से आई टीम ने नागपुर डिवीजन में वर्धा से चितोड़ा के बीच नई रेल लाइन को शुरू करने की मंजूरी दे दी है. 4 किमी की इस लाइन के चालू हो जाने से अप और डाउन दोनों तरफ से ट्रेनें दौड़ने लगेंगी. पहले यह सिंगल फेज लाइन थी जिसके कारण एक ही ट्रेन रूट पर चलती थी. अन्य ट्रेनों को रोकना पड़ता था. रेलवे लाइन का दोहरीकरण होने से ट्रेनों को रोकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नागपुर डिवीजन की तरफ से नई रेल लाइन पर 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की इजाजत मांगी गई थी जिसे सेफ्टी कमिश्नर ने नहीं माना. यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ही ट्रेनों को चलाने की अनुमति प्रदान की गई.

    स्टाफ एक भी नहीं बढ़ा

    नई रेल लाइन को चालू कर दिया गया लेकिन इसके मेंटेनेंस के लिए एक भी स्टाफ नहीं बढ़ाया गया. इसे रेलवे से जुड़े कर्मचारी संगठन संरक्षा से खिलवाड़ मान रहे हैं. नेशनल रेलवे मेन्स यूनियन के मंडल सचिव एस.के. झा ने कहा कि 4 किमी लाइन के मेंटेनेंस के लिए कम से कम 30 कर्मचारियों (1 यूनिट) की जरूरत थी जिसमें ट्रैक मैन, गेट मैन, चाबीदार सहित विभिन्न केटेगरी के कर्मचारी शामिल होते हैं. इसके अलावा चितोड़ा और वर्धा में 1-1 स्टेशन मैनेजर को बढ़ाने की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि डिवीजन में कर्मचारियों की पहले से ही काफी कमी है. ऐसे में रेलवे प्रशासन नए-नए एसेट्स चालू कर रही है लेकिन कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ा रही है. इससे कर्मचारियों पर वर्क लोड बढ़ता जा रहा है.

    डिवीजन में 2500 कर्मचारियों की कमी  

    नागपुर डिवीजन में हाल के दिनों में करीब 150 किमी थर्ड और फोर्थ लाइन चालू की गई है. 4 किमी के वर्धा-चितोड़ा लाइन को मिलाने के बाद कुल 154 किमी ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ने लगी हैं. इतनी लंबी ट्रैक के मेंटेनेंस के लिए एक भी कर्मचारी नहीं बढ़ाया गया. एनआरएमयू के नेता झा ने कहा कि नागपुर डिवीजन में बाबू और टीसी को छोड़ दिया जाए तो भी सेफ्टी केटेगरी में कम से 2500 कर्मचारियों की कमी है. वर्क लोड बढ़ने से सभी कर्मचारी तनाव में काम कर रहे हैं. इस वजह से कर्मचारियों की सेहत पर प्रतिकूल असर हो रहा है तथा वे बीमार हो रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. रेलवे प्रशासन को तत्काल कर्मचारियों की कमी को दूर करना चाहिए.