holi
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    • चायना की जगह मार्केट में 99 प्रश माल भारतीय
    • कम्पनियां बंद होने से बनी हुई है माल की शार्टेज 
    • 30 रुपये प्रति किलो से शुरू है गुलाल
    • 150 रुपये प्रति किलो से हर्बल गुलाल की रेंज

    नागपुर. रंगों का त्योहार होली आने में अभी कुछ ही दिन शेष हैं लेकिन लोहा ओली, इतवारी, पुराना भंडारा रोड के थोक बाजार के साथ ही कई स्थानीय बाजारों में पारम्परिक व हर्बल रंग, गुलाल और एक से बढ़कर एक बच्चों को आकर्षित करने वाली फैंसी और कार्टून पिचकारियों की दूकानें सजने लगी हैं. इनमें विविध तरह के मुखौटे, टोपियां, रबर, फोल्डिंग वाली पुंगी व प्लास्टिक के मास्क भी काफी आकर्षित कर रहे हैं. इस बार होली पर कोरोना का साया तो नजर नहीं आ रहा है लेकिन क्रूड आयल की महंगाई होली के रंग और उत्साह को बेरंग करने का काम कर रही है.

    क्रूड ऑयल के बढ़ने से प्लास्टिक के आइटम बनाने वाली कई कम्पनियां बंद हैं, जिसके चलते अधिक माल बन नहीं पाया. इस कारण इस बार पिचकारी सहित विविध प्लास्टिक के आइटम्स की मार्केट में शार्टेज चल रही है. शार्टेज होने से हर वस्तुओं की तरह ही पिचकारियों पर भी महंगाई का रंग चढ़ा हुआ है. मार्केट में चायना की जगह अभी मार्केट में 99 प्रश पिचकरी, मास्क सहित अन्य वस्तुएं भारत की ही हैं. इससे इंडियन मार्केट को बुस्ट मिला है. हर वर्ष पिचकारियों में कुछ न कुछ चेंज होता है. इस बार विराट कोहली का नया टैंक, स्पाइडर मैन, पबजी का ज्यादा ट्रेंड चल रहा है. 

    म्यूजिकल पाइप और सिलेंडर गुलाल की धूम 

    व्यापारी विराग संघवी के अनुसार इस बार मार्केट में पिचकारियों में गन्स, पाइप के साथ बलून्स और गुलाल सिलेंडर के साथ ही म्यूजिकल पाइप की धूम चल रही है. पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण जहां होली का त्योहार फिका रह गया था. वहीं इस बार लोगों में जमकर उत्साह दिख रहा है. बच्चे आज पारंपरिक पिचकारियों की बजाय खिलौने व कार्टून पिचकारियों की डिमांड अधिक करते हैं. बाजार में पिचकारियां 20 से लेकर 800 रुपये तक चल रही है.

    इनमें विराट कोहली टैंक, मोटू-पतलू, एंग्री बर्ड, वाटर गन, शूटर पम्प, एयर व मशीन गन जैसी पिचकारी बच्चों को आकर्षित कर रही है. इसके साथ ही नये-नये रबर और प्लास्टिक के हॉरर मुखौटों के साथ ही नई-नई स्टाइल के विग्स भी आए हैं. वहीं अब पंखों वाली टोपियों की जगह ले ली है कॉक कैप ने जो कि ब्लैक, व्हाइट, गोल्डन व मल्टी कलर्स में आ रही हैं. अलग-अलग तरह के करलिंग हेयर विग्स तो देखते ही बनते हैं. मास्क मुखौटों में कम से कम 70 से 80 और टोपियों में 60 से 70 वेरायटी हैं. 

    हर्बल गुलाल व रंग की डिमांड

    व्यापारी शशांक जैन बताते हैं कि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी जागरूक हो गये हैं, इसलिए वे बाजार में हर्बल रंगों की डिमांड कर रहे हैं. आजकल शहरों में ज्यादातर हर्बल और छोटे-छोटे गांव में पारम्परिक रंगों की मांग अधिक रहती है. जिस तरह पूर्व में घरों में झाड़, पत्तियों से रंग बनाये जाते थे उसी तरह अभी प्राकृतिक हर्बल रंग बनाये जा रहे हैं, इससे शरीर पर किसी तरह साइड इफेक्ट नहीं होता. हर्बल आंख में भी चला जाये तो जलन नहीं करता और वहीं पारंपरिक (बेसिक) रंगों में रसायन मिला होने के चलते यह शरीर पर रेशेस छोड़ने के साथ जलन भी करता है. इन्हीं सब कारणों के चलते आज लोग इको फ्रेंडली होली खेलने के हर्बल रंग व गुलाल को काफी अधिक पसंद करते हैं. पारंपरिक गुलाल जहां 30 से 50 रुपये प्रति किलो से शुरू है. वहीं हर्बल गुलाल की रेंज 150 रुपये से शुरू है. 

    शुरू हुई रिटेलर्स की खरीदी

    रंग व गुलाल भी 5 से 10 प्रश महंगा हुए हैं. अभी लोगों गुलाल से लेकर कलर्स भी ब्रांडेड चाहिए. इसमें गणेश, मूर्गा व तोता ब्रांड को सभी काफी पसंद करते हैं. रंगों की 50 ग्राम से 10 ग्राम की डिब्बियों की रेंज 30 से 100 रुपये तक शुरू है. अभी मार्केट में रिटेलर्स की खरीदी शुरू हो चुकी है. होली के 5 दिन पहले लोगों की भीड़ जमनी शुरू हो जायेगी. रंगों के साथ गोल्डन रंग और वार्निश व अच्छी क्वालिटी वाले पैक किए हुए रंगों की अच्छी मांग की जा रही है.