... then there will be 'corona blast' in city, warns by Manpah commissioner Mundhe

  • चेयरमेन परदेशी को लिखा पत्र

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नागपुर. एक ओर मनपा आयुक्त द्वारा खुद को अवैध तरीके से स्मार्ट सिटी का सीईओ बना लेने का आरोप सत्ताधारी पक्ष भाजपा द्वारा लगाया जा रहा है. उनके खिलाफ महापौर ने पुलिस में शिकायत भी की गई है वहीं अब स्मार्ट सिटी की कंपनी सेक्रेटरी भानुप्रिया ठाकुर ने भी उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए स्मार्ट सिटी के चेयरमेन प्रवीण परदेशी को पत्र लिखकर शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है.

सीएस ने लिखा है कि 22 जून को मैंने आपको रामनाथ सोनवणे के त्यागपत्र पर पर आपके द्वारा दिए गए शेरा अनुसार मनपा आयुक्त को स्मार्ट सिटी के सीईओ के रूप में नियुक्ति का निर्देश या सीईओ का अतिरक्त प्रभार दिया है या इस संदर्भ में मार्गदर्शन करने के लिए मेल किया था लेकिन उसका उत्तर आपकी ओर से नहीं मिला.

ठाकुर ने परदेसी को लिका है कि जिस आधार पर आयुक्त स्मार्ट सिटी के सीईओ का पदभार संभाल रहे हैं उससे संबंधित किसी तरह का आधिकारिक दस्तावेज मेरे पास नहीं है. आयुक्त व मुख्य लेखाधिकारी मोना ठाकुर परस्पर मुझ पर यह दबाव डाल रहे हैं कि बोर्ड एजेंडा तैयार करते समय यह शामिल करो कि जब तक संचालक मंडल का निर्णय नहीं आता तब तक आयुक्त सीईओ का अतिरिक्त प्रभार शुरू रहेगा.

मानसिक रूप से कर रहे परेशान
सीएस ने शिकायत की है कि आयुक्त पिछले एक हफ्ते से मुझ पर झूठी जानकारी देकर दिशाभूल करने का आरोप लगाते हुए अपमानजनक बर्ताव कर रहे हैं. कर्मचारियों के सामने कठोर शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. सरकार के कुछ नियमों का हवाला देते हुए खुद को अपनेआप ही सीईओ होने का दाबवा करते हैं. धमकी देते हैं कि अगर लिखित रूप में उन्हें सीईओ मान्य नहीं किया तो जबरदस्ती इस्तीफा लिखवा लेंगे. भानुप्रिया ने यह भी लिखा है कि मुझे मात्र 3 महीने का बेटा है जिसे 100 किमी दूर गांव में छोड़कर वे मुख्यालय आती हैं. मेरा मातृत्व अवकाश भी रिजेक्ट किया गया. वर्क फ्राम होम की अनुमति भी नहीं दी गई. उन्होंने पूरे मामले में न्याय दिलाने का निवेदन करते हुए संबंधितों पर कार्रवाई की अपेक्षा परदेशी से जताई है.

गडकरी भी भड़के
इधर, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मनपा आयुक्त मुंढे के एकतरफा कार्यप्रणाली पर भड़क गए हैं. उनका एक आडियो क्लिप वायरल होने का दावा किया जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों का भी उतना ही महत्व है. प्रशासन को उन्हें विश्वास में लेना चाहिए. स्मार्ट सिटी प्रकल्प मैंने खुद लाया है और मुंढे ने इस संदर्भ में एक बार भी मुझसे बात नहीं की. आडियो क्लिप में गडकरी ने कहा है कि मुंढे ने पदभार संभालने के बाद 15 दिनों तक महापौर से मुलाकात नहीं की. कांग्रेस के नगरसेवकों को कक्ष के बाहर 3-3 घंटे बिठा कर रखते हैं.

विधायकों से ढंग से बात नहीं करते. वे किसी को नहीं गिनते, ऐसा नहीं चलेगा. महापौर का अपमान करना शहर की जनता के अपमान जैसा है. आयुक्त कानून के अनुसार कठोर से कठोर निर्णय लें हम उनके साथ हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेना चाहिए. कहा कि, मनपा की सभी बातों पर बारीकी से मेरी नजर है. स्मार्ट सिटी में सोनवणे अच्छे अधिकारी थे वे भी परेशान होकर छोड़कर चले गए.