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    नागपुर. बंगले बनाकर देने का लालच देकर लोगों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाले महाराजा डेवलपर्स के संचालक विजय डांगरे ने मामला दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस सदंर्भ में डांगरे द्वारा जांच में मदद नहीं किए जाने तथा अंतरिम जमानत देते समय रखी गईं शर्तों का पालन नहीं करने  का आरोप पुलिस ने लगाया था.

    डांगरे के वकील ने पुलिस के इन आरोपों को खारिज किया था. वकील ने कहा था कि पुलिस के पास हाजिरी लगाने के दस्तावेज उपलब्ध हैं. इस पर सरकारी वकील ने हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा था. अब पुलिस की ओर से हलफनामा तो दायर किया गया किंतु सुनवाई के दौरान ही याचिकाकर्ता को हलफनामा दिए जाने के कारण जवाब के लिए अदालत ने समय प्रदान किया.

    क्या NA करने का कभी प्रयास किया

    अदालत ने क्या किसी भी समय जमीन को गैर कृषि बनाने के लिए प्रयास किया गया? इसका जवाब याचिकाकर्ता से भी मांगा था. गत सुनवाई के दौरान मध्यस्थता अर्जी भी दायर की गई जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध तो किया किंतु अदालत ने इसे स्वीकृत कर लिया. उल्लेखनीय है कि 2 करोड़ जमा किए जाने बाद याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत प्रदान की गई है. अदालत ने अंतरिम जमानत की राहत अगली सुनवाई तक बरकरार रखने के आदेश जारी किए. 

    पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

    गत समय अदालत ने आदेश में कहा कि 10 जनवरी 2019 को मामला दर्ज किया गया. अंतरिम जमानत के लिए याचिककर्ता ने सत्र न्यायालय में अर्जी दायर की किंतु वहां राहत नहीं मिली. इसके बाद हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई. 22 फरवरी 2019 को अंतरिम जमानत प्रदान की.

    अदालत ने आदेश में कहा कि इस समय तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया. शायद गिरफ्तार नहीं करना ही, जांच अधिकारी ने उचित समझा है लेकिन गंभीर खामी यह है कि 3 वर्ष बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं की जा सकी है. याचिकाकर्ता ने पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर आरक्षित जमीन पर प्लॉट बनाकर बेच दिए जिससे यह धोखाधड़ी का मामला बनता है.