Crime

    Loading

    नागपुर. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की आरएफओ दीपाली चव्हाण के बहुचर्चित आत्महत्या मामले में मुख्य आरोपी बनाए गए गुगामल परिक्षेत्र के उप वन संरक्षक विनोद शिवकुमार की ओर से जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रोहित देव ने पासपोर्ट सरेंडर करने तथा अदालत की अनुमति के बिना देश न छोड़ने जैसी कड़ी शर्तों के साथ जमानत के आदेश जारी किए. अब शिवकुमार की ओर से एफआईआर रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की गई जिस पर अदालत ने 2 सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

    उल्लेखनीय है कि शिवकुमार ने इसके पूर्व भी हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी. उसके खिलाफ प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी के समक्ष चार्जशीट दायर किए जाने के कारण अर्जी वापस ली थी. अब पुन: हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. दीपाली चव्हाण मेलघाट अंतर्गत हरिसाल वन क्षेत्र की वन परिक्षेत्र अधिकारी थीं. उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरंतर मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने के कारण त्रस्त होकर आत्महत्या की थी. यहां तक कि इस संदर्भ में सुसाइड नोट भी लिखकर रखा था.

    आत्महत्या के लिए रेड्डी भी जिम्मेदार

    सरकारी पक्ष का मानना है कि हरिसाल वन क्षेत्र की वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के लिए गुगामल वन परिक्षेत्र के उप वन संरक्षक विनोद शिवकुमार के साथ ही मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के अति. प्रधान मुख्य वन संरक्षक एम. श्रीनिवास रेड्डी भी जिम्मेदार हैं. रेड्डी की ओर से एफआईआर रद्द करने के लिए हाई कोर्ट में अलग से अर्जी दायर की गई है जिसमें राज्य सरकार ने उप विभागीय पुलिस अधिकारी पूनम पाटिल का हाई कोर्ट में शपथपत्र भी दायर किया. शपथपत्र में सरकार का मानना था कि शिवकुमार जानबूझकर दीपाली को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया करता था. कई लोगों के सामने ही अपमानित किया करता था. इसी वजह से निराशा में डूबी दीपाली ने तंग आकर आत्महत्या कर ली जिसका उल्लेख उसके सुसाइड नोट में भी किया गया था. 

    रेड्डी ने शिवकुमार पर नहीं की कार्रवाई

    -शिवकुमार की ओर से लगातार हो रही परेशानी और गैर हरकतों को लेकर दीपाली ने कई बार रेड्डी से शिकायत भी की थी. 25 जनवरी 2021 को भी दीपाली और उसके पति ने रेड्डी से भेंट कर कार्रवाई की मांग की थी. 

    -रेड्डी ने शिवकुमार के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जिससे शिवकुमार की कारगुजारी बदस्तूर जारी रही. उस पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होने की मुहर लग जाने के कारण अंतत: दीपाली ने आत्महत्या का मार्ग अपनाया. 

    -शपथपत्र में सरकार की ओर से बताया गया कि शिवकुमार के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं होने का रेड्डी का दावा भी गलत था. रेड्डी द्वारा एफआईआर रद्द करने के लिए दायर अर्जी पर तो अलग सुनवाई हो रही है. अब शिवकुमार की ओर से भी अर्जी दायर की गई है.