Nitin raut
नितिन राउत (फाइल फोटो)

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नागपुर. देश में हर स्तर पर महंगाई बढ़ रही है. एक ओर लोगों की जेब कट रही है तो दूसरी ओर केवल एक उद्योगपति की जेब भरी जा रही है. यदि इसे लेकर प्रश्न किया जाता है तो जवाब नहीं मिलता. अलबत्ता संसद सदस्यता बर्खास्त की जाती है. संविधान के मूल सिद्धांतों के विपरीत चल रही मोदी सरकार की इस तानाशाही के खिलाफ अब पूरे देश में आवाज बुलंद होने की जानकारी विधायक नितिन राऊत ने दी.

मंगलवार की शाम कमाल चौक पर डरो मत, अदानी की कम्पनी में निवेश 20 हजार करोड़ किसके है?, इसे लेकर सभा का आयोजन किया गया. सतीश चतुर्वेदी, जम्मू आनंद, दिनेश अंडरसहारे, प्रमोद मानमोडे, घनश्याम फूसे, शब्बीर विद्रोही, भीमराव फूसे, मनोज बंसोड, किशोर ठाकरे, बंडोपंत टेम्भूर्णे आदि उपस्थित थे. राऊत ने कहा कि इस तानाशाही सरकार के कारण डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर का संविधान खतरे में आ गया है. पूरे लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है.

संविधान बचाने दे देंगे जान

राऊत ने कहा कि बाबासाहब के संविधान ने देश के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति को मूलभूत अधिकार प्रदान किए. देश की जनता के हितों के लिए 4 स्तंभ काम करें, इस मंशा से नियमों का प्रावधान किया लेकिन संविधान को कुचला जा रहा है. आलम यह है कि संसद के भीतर गौतम अदानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंधों को लेकर राहुल गांधी जवाब पूछते हैं तो संसद को चलने नहीं दिया जाता. ईडी, सीबीआई और अन्य प्रशासकीय एजेंसियों के माध्यम से विपक्ष को डराया जा रहा है. अदालतों को लेकर केंद्रीय मंत्री विवादित बयानबाजी करते हैं. मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जाता है. इस तरह से यदि संविधान बदलने का षड्यंत्र रचा जा रहा हो तो संविधान बचाने के लिए जान देने की वकालत राऊत ने की.

खोखली की जा रही संविधान की नींव

पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी ने कहा कि संसदीय प्रणाली की स्वतंत्र एजेंसियों को अपने कब्जे में कर वर्तमान सरकार संविधान की नींव खोखली करने में लगी हुई है. यदि संसद में विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष से सवाल नहीं पूछेंगे तो लोकतंत्र कहां रहेगा?. दुनिया के 609 नंबर पर रहने वाले गौतम अदानी वर्ष 2014 के बाद से अचानक दूसरे नंबर पर कैसे आ गए? अदानी की शेल कम्पनियों में 20 हजार करोड़ किसके हैं?. मोदी और अदानी का क्या रिश्ता है? इन्हीं सवालों का जवाब राहुल गांधी ने संसद में मांगा था लेकिन उन्हें संसद से ही बाहर कर दिया गया. आजादी के पहले अंग्रेजों ने भी कांग्रेस के नेताओं को जेल में डाला था लेकिन देश की जनता ने उन्हें आशीर्वाद दिया.