Nagpur High Court
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नागपुर. शिक्षक के रूप में 1 नवंबर 2005 के पूर्व की नियुक्ति होने के बावजूद पुरानी पेंशन नहीं मिलने तथा इसका लाभ नहीं मिलने पर आपत्ति जताते हुए विलास देवराले एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश एमडब्ल्यू चांदवानी ने प्रत्येक याचिकाकर्ता के मामले की वास्तविकता की जांच करने के बाद उचित निर्णय लेने के आदेश दिए. साथ ही याचिकाओं को शिक्षा उपसंचालक एवं माध्यमिक शिक्षाधिकारी के पास स्थानांतरित कर दिया.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि एक ओर जहां उनकी नियुक्ति निर्धारित तारीख से पहले हुई है वहीं दूसरी ओर जिन स्कूलों में वे कार्यरत हैं, इनको शत-प्रतिशत अनुदान मिल रहा है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की मुख्य पीठ द्वारा एक मामले में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया गया.

HC के फैसलों के आधार पर करें निर्णय

सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि महाराष्ट्र सिविल सर्विसेस रुल्स 1982, महाराष्ट्र सिविल सर्विसेस (कम्प्यूटेशन ऑफ पेंशन) रुल्स 1984 और जनरल प्रोविडेन्ट फंड के संदर्भ में हाई कोर्ट की मुख्य पीठ द्वारा दिए गए फैसलों के आधार पर पुरानी पेंशन योजना लागू होती है या नहीं, इसका निर्णय लिया जाए. यदि शिक्षा उपसंचालक द्वारा यह पाया जाता है और याचिकाकर्ता पुरानी पेंशन योजना का हकदार है तो डीसीपीएस या एनपीएस योजना के तहत याचिकाकर्ताओं के वेतन से काटी जा रही राशि अब न काटी जाए. इस संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने के आदेश भी शिक्षा उपसंचालक को दिए.

…तो काटी गई राशि का करें भुगतान

अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि पुरानी पेंशन योजना के हकदार साबित होने पर डीसीपीएस या एनपीएस के लिए काटी गई राशि का 4 सप्ताह के भीतर वापस भुगतान किया जाए. इसी तरह से पुरानी पेंशन योजना के हकदार साबित होने पर याचिकाकर्ताओं के नाम का उनकी योग्यता के दिन से जीपीएफ खाता खुलवाने के लिए 4 सप्ताह के भीतर उचित दिशानिर्देश जारी करने के आदेश शिक्षा उपसंचालक को दिए. अपना पक्ष रखने के लिए शिक्षा उपसंचालक के समक्ष प्रस्तुत होने के आदेश याचिकाकर्ताओं को दिए.