Representational Pic
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    • श्वास संबंधी बीमारियों का बढ़ा खतरा

    नागपुर. शहर में जितने भी सरकारी और गैर सरकारी वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, उनमें से 70 प्रतिशत काला धुआं उगल रहे हैं. खासकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का तो बुरा हाल है. शहर में चलने वाली बसें या हैवी वाहन जिधर से भी गुजरते हैं, लोगों का सांस लेना दुश्वार हो जाता है. शहर के प्रत्येक क्षेत्र में मनपा की बसें भी चल रही हैं. इनमें ज्यादातर धुआं छोड़ती हैं. इसके साथ ही किराना, पानी या दूसरी चीजें ट्रांसपोर्ट करने वाले वाहन भी काला धुआं छोड़ रहे हैं.

    पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर प्रदूषण को कंट्रोल करना है तो शहर में इलेक्ट्रिक बसें चलना जरूरी है. इसके लिए वर्ष 2019 में मनपा ने परिवहन विभाग को करीब 40 इलेक्ट्रिक बसें देने का निर्णय लिया था. इस संबंध में हैदराबाद की निजी कंपनी से करार भी किया गया था लेकिन किसी कारण से अभी तक यह प्लान साकार रूप नहीं ले पाया है. अगर यह प्लान लागू होता है तो शहर को काफी हद तक प्रदूषण से मुक्ति मिल सकेगी. हालांकि शहर में इलेक्ट्रिक बाइक और रिक्शा चल रहे हैं लेकिन इनकी संख्या काफी कम है. इलेक्ट्रिक वाहन अभी लोगों को महंगे नजर आ रहे हैं, इसलिए काफी कम संख्या में खरीदे जा रहे हैं.

    बैटरी वाले वाहन दूर का सपना 

    शहर में बड़े इलेक्ट्रिक वाहन भले न हों लेकिन सीएनजी और एलपीजी वाहनों की संख्या बढ़ी है. पेशे से व्यवसायी शरद कुमार का कहना है कि उनका काम फोरव्हीलर गाड़ियां किराए से देने का है. वे लंबे रूट की गाड़ियां किराये पर देते हैं. डीजल और पेट्रोल की अपेक्षा सीएनजी गाड़ी पर कमाई अधिक हो रही है. इसमें ज्यादा मेंटेनेंस भी नही है. साथ ही प्रदूषण भी न के बराबर होता है. हालांकि जहां सीएनजी नहीं मिलती वहां पेट्रोल से काम चलाना पड़ता है. एलपीजी गैस का उपयोग शहर के ऑटो चालक करने लगे हैं.

    खटारा वाहनों से मुक्ति कब  

    केन्द्र सरकार ने 15 साल पुराने वाहनों को चलन से बाहर करने के संकेत दिए हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है. करीब 17 लाख वाहनों में से 12 लाख से अधिक ऐेसे हैं जो काला धुआं उगलकर लोगों को बीमार करने के साथ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं. लोग भी इन वाहनों की कामचलाऊ सर्विसिंग कराकर चला रहे हैं. बीते साल की अपेक्षा शहर में पुराने वाहनों की बिक्री भी बढ़ी है. इनमें  दोपहिया वाहन की बिक्री में ज्यादा इजाफा हुआ.