Nagpur High Court
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    नागपुर. अवैध सम्पत्ति और भ्रष्टाचार प्रतिबंधित कानून के तहत सीताबर्डी पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए मनपा में अधिकारी रहे डॉ. प्रवीण गंटावार दम्पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर नोटिस जारी कर अदालत ने शपथपत्र दायर करने के आदेश भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) और शिकायतकर्ता को दिए थे. किंतु शपथपत्र दायर नहीं किया जा सका. सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों पक्षों को जवाब दायर करने के आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की अधि. प्रकाश नायडू ने पैरवी की. अधि. नायडू ने कहा कि एक पुलिस कांस्टेबल की बेबुनियाद शिकायत के कारण याचिकाकर्ता को प्रताडि़त किया जा रहा है. दोनों याचिकाकर्ता पेशे से न केवल डॉक्टर हैं बल्कि उच्च डिग्री भी हासिल की है. 

    बिल देने से बचने के लिए शिकायत

    अधि. नायडू ने कहा कि कांस्टेबल रवि मडावी ने 6 दिसंबर 2011 को गंटावार के कोलंबिया अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में इलाज के लिए पत्नी को भर्ती कराया था. इलाज के बाद 17 दिसंबर को उसे छुट्टी दी गई. कैंसर के इलाज के लिए 1,51,800 रुपए और 59,020 रुपए का फार्मेसी का बिल रवि को दिया गया जिसके बदले उसने 60,000 रुपए नकद और बची राशि के 2 चेक अदा किए. किंतु दोनों चेक बाउंस हो गए. याचिकाकर्ता द्वारा बकाया मांगे जाने पर रवि ने एट्रोसिटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई. साथ ही भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग के पास झूठी शिकायत भी दर्ज की. गृह विभाग के पास भी बेनामी शिकायत दर्ज कर याचिकाकर्ता की कथित अवैध सम्पत्ति की जांच कराने की मांग की गई. वर्ष 2014 से लेकर 2020 तक जांच तो हुई लेकिन उसमें कुछ भी अवैध नहीं पाया गया, जबकि सम्पत्ति से जुड़ी सभी जानकारी जांच के दौरान उपलब्ध कराई गई.

    सम्पत्ति का गलत आंकलन

    अधि. नायडू ने कहा कि 15 जून 2018 को जांच पूरी करते हुए एसीबी ने सम्पत्ति को लेकर चार्ट तैयार किया. एसीबी के ऑडिटर ने सम्पत्ति का गलत लेखा-जोखा तैयार किया जिसमें 35.96 करोड़ की सम्पत्ति दिखाई गई. खर्च के रूप में 18.45 करोड़ तथा 25.58 करोड़ की अचल सम्पत्ति दिखाई गई. एसीबी की ओर से पूरा लेखा-जोखा फॉरेन्सिक ऑडिट कंपनी को क्रॉस वेरिफिकेशन के लिए भेजा गया. फॉरेन्सिक ऑडिट कंपनी ने अगस्त 2019 के पूर्व रिपोर्ट पेश की जिसमें याचिकाकर्ताओं की सम्पत्ति 10.12 करोड़ होने खुलासा किया गया. इसमें 3.17 करोड़ का खर्च और 3.81 करोड़ की अचल सम्पत्ति दर्शाई गई. फॉरेन्सिक ऑडिट कंपनी के अनुसार याचिकाकर्ता के पास आय से अधिक सम्पत्ति नहीं होने का खुलासा हुआ है.