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नागपुर. अब तक की सबसे बड़ी 1.91 करोड़ की एमडी ड्रग की खेप पकड़े जाने के बाद न केवल स्थानीय तस्करों को गिरफ्तार किया गया बल्कि उत्तर प्रदेश में बैठे उनके सरगना संदीप इंद्रजीत तिवारी को भी जकड़ा गया. शुक्रवार को पुलिस ने तिवारी को पीसीआर के लिए जिला सत्र न्यायालय में पेश किया जहां लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश यूबी पेठे ने एमसीआर देते हुए जेल भेज दिया. तिवारी की ओर से अधि. प्रकाश नायडू, होमेश चौहान, मितेष बैस, सुरभि नायडू ने पैरवी की.

अभियोजन पक्ष के अनुसार 3 मार्च को सोनेगांव पुलिस ने कुणाल गभने और गौरव कालेश्वराव को हिरासत में लिया था. इसके बाद नंदकिशोर कुम्भलकर और अक्षय येवले को उसी दिन रात में गिरफ्तार किया गया. 5 दिन बाद गोवा से इसी मामले में आरोपी पंकज चरडे और अकरम खड्डे को गिरफ्तार किया गया. इन आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सरगना संदीप तिवारी को धरा गया.

UP में बैठकर चलाता है ड्रग माफिया

जांच अधिकारी ने कहा कि संदीप तिवारी उत्तर प्रदेश में बैठकर ड्रग माफिया चलाता है. यहां तक कि आरोपी स्वयं ड्रग बनाकर इसकी सप्लाई करता है. ड्रग बेचने के बदले सह-आरोपियों के बैंक खाते में सीधी भारी राशि जमा की जाती है. इस तरह से पूरा रैकेट चलाया जाता है. इस मामले की जांच अभी प्राथमिक स्तर पर है. कुछ सघन जानकारी प्राप्त करना बाकी है. इसके लिए तिवारी को 5 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि खुले बाजार में किन लोगों के माध्यम से और किस तरह से अलग-अलग स्थानों पर ड्रग भेजा जाता है इसकी भी छानबीन करनी है. 

आरोपी के घर से कोई जब्ती नहीं

तिवारी की ओर से पैरवी कर रहे अधि. नायडू ने कहा कि गैरकानूनी ढंग से गलत जानकारी के आधार पर गिरफ्तारी की गई है. सरकारी पक्ष का ही दावा है कि पहले गिरफ्तार आरोपियों ने स्वयं की लिप्तता स्वीकार की है. यहां तक कि इसके लिए वे ही जिम्मेदार होने का बयान दिया है. इसके अलावा एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के अनुसार आरोपियों के बयान दर्ज नहीं किए गए. यहां तक कि एविडेन्स एक्ट की धारा 42, 57 और 62 के प्रावधानों के विपरीत है.

नायडू ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने अभियुक्त तिवारी के घर पर दबिश देने का दावा किया जहां से एकमात्र जीप बरामद की गई है, जबकि ड्रग्स से संबंधित कुछ भी अवैध जब्ती नहीं हुई है. कथित आरोपों और सह-आरोपियों के बयान के आधार पर पीसीआर देना संविधान की धारा 14 के अनुच्छेद का उल्लंघन होगा. दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने तिवारी को एमसीआर में जेल भेजने के आदेश दिए.