Nagpur High Court
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नागपुर. मनपा में सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत रही मां के स्थान पर लाड-पागे समिति की सिफारिशों के अनुसार नौकरी देने की मांग करते हुए 2 मई 2012 को मनपा में आवेदन किया था. किंतु इस आवेदन पर अब तक निर्णय नहीं लिए जाने के कारण रीना बक्सरिया की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश एम.डब्ल्यू. चांदवानी ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर संज्ञान लेने के आदेश मनपा आयुक्त को दिए.

याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एस.डी. कल्यानी, मनपा की ओर से अधि. एस.एम. उके और अन्य प्रतिवादी की ओर से अधि. ए.एम. माडीवाले ने पैरवी की. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 31 जनवरी 2012 को उसकी मां मनपा की नौकरी से सेवानिवृत्त हुई जिसके पूर्व मां ने याचिकाकर्ता को नौकरी के लिए नामजद किया. विवाहित होने के बाद भी लाड-पागे समिति की सिफारिशों के अनुसार याचिकाकर्ता को नौकरी में शामिल करने का अनुरोध किया था.

वारिसदारों की मांगी गई NOC

याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि मां के अनुरोध के बाद 2 मई 2012 को नौकरी के लिए अर्जी दी गई जिसके 6 वर्ष बाद मनपा ने 4 जुलाई 2018 को पत्र भेजा. जिसमें 21 अक्टूबर 2011 और 26 फरवरी 2014 को राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार परिवार के अन्य 5 वैध वारिसों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाने की हिदायत याचिकाकर्ता को दी गई. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि चूंकि परिवार के इन सदस्यों से उसका विवाद था अत: उनसे अनापत्ति प्राप्त करना संभव नहीं हो पाया है. अत: मां के स्थान पर उसे नौकरी देने का अनुरोध याचिकाकर्ता ने किया. 

नई अधिसूचना में प्रावधान खारिज

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार के सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग की ओर से 24 फरवरी 2023 को अधिसूचना जारी की गई है. लाड-पागे समिति की सिफारिशों को लेकर जारी अधिसूचना में अनापत्ति प्राप्त करने का प्रावधान ही निकाल दिया गया है. इसे देखते हुए अदालत ने कहा कि वर्तमान में यह अधिसूचना लागू है जिससे याचिकाकर्ता द्वारा दी गई अर्जी पर संज्ञान लेने के आदेश जारी किए. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि अर्जी पर निर्णय लेते समय 24 फरवरी 2023 की अधिसूचना को संज्ञान में लेना चाहिए. अदालत ने अप्रैल अंत तक निर्णय लेने तथा इसकी सूचना याचिकाकर्ता को देने के भी आदेश दिए. अदालत ने 28 मार्च की सुबह 11.30 बजे आयुक्त के समक्ष उपस्थित रहने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए.