Nagpur District Court Building

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    नागपुर. विधि क्षेत्र में नागपुर शहर ने कई बड़ी हस्तियां दी हैं. देश के नामी वकीलों और न्यायाधीशों में नागपुर के अधिवक्ताओं का नाम शुमार है. इसके बावजूद अनेक वर्षों से नागपुर के जिला व सत्र न्यायालय में वकील सुविधाओं के अभाव में दिन काट रहे हैं. कई वर्षों से जिला व सत्र न्यायालय में कोर्ट बहुमंजिला इमारत की तंग जगहों में चल रहे हैं. वर्ष 2016 में राज्य सरकार से नई एल शेप की इमारत को मंजूरी मिली. इसके निर्माण कार्य में तय से अधिक समय लग गया लेकिन अब न्याय मंदिर की नई इमारत बनकर तैयार है. बावजूद इसके वकीलों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. न जाने कब न्याय मंदिर की नई इमारत का ग्रहण हटेगा. अच्छे कोर्ट में सुनवाई होगी. वकीलों के बैठने की अच्छी व्यवस्था होगी. बहुमंजिला इमारत तो बनकर तैयार है. वकील केवल इसे निहार सकते हैं. इस नई इमारत में बहुत ही स्मार्ट कोर्ट रूम बनाए गए हैं. यहां प्रधान जिला न्यायाधीश सहित 25 न्यायाधीशों के कोर्ट होंगे लेकिन यह तब हो पाएगा जब प्रशासन इस समस्या की ओर ध्यान देगा.

    अब भी बनी हुई पार्किंग की समस्या

    जिला बार एसोसिएशन में करीब 8,000 वकील सदस्य हैं. करीब 1,500 वकील पुरानी इमारत के बार रूम में बैठते हैं जबकि 1,200 पुरानी ट्रेजरी बिल्डिंग में बैठते थे. नई इमारत में तीसरे माले से 8वें माले तक हर फ्लोर पर 2 बार रूम बनाए गए हैं. उपलब्ध जगह पर और भी लोगों के बैठने की व्यवस्था भविष्य में की जा सकती है. न्याय मंदिर परिसर में सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है. आज भी वकील रास्तों में अपने वाहन पार्क करते हैं. 12 महीने इस रास्ते पर वीआईपी की आवाजाही होती है. रास्तों पर पार्किंग होने से यातायात की समस्या खड़ी होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए नई इमारत डिजाइन की गयी. तल मंजले पर कार पार्किंग और पहले व दूसरे माले पर टू-व्हीलर पार्किंग है. पर्याप्त जगह उपलब्ध होने से पार्किंग की समस्या पूरी तरह से हल हो जाएगी. 

    फायर की एनओसी और ऑक्यूपेंसी का इंतजार

    वर्ष 2016 में नई इमारत का भूमिपूजन जस्टिस भूषण गवई, तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हाथों किया गया था. 100 करोड़ रुपये की निधि भी मंजूर हो गई. 2 वर्ष में इस इमारत का निर्माण कार्य पूरा होना था लेकिन इंतजार करते-करते 6 वर्ष बीत गए. इमारत का निर्माण कार्य कछुआ गति से चलता रहा. अब इमारत बनकर तैयार है. लगभग सभी कोर्ट का फर्नीचर भी बन गया है लेकिन अग्निशमन विभाग की एनओसी नहीं मिली है. इसके अलावा बिल्डिंग पर पजेशन लेने के लिए वकीलों को नगर रचना विभाग के ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट का इंतजार है. यदि वकील और न्यायाधीश मन बना लें तो दोनों दस्तावेज मिलना कोई बड़ी बात नहीं है.

    इतनी बड़ी इमारत का नहीं मिल रहा लाभ

    जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) के अध्यक्ष कमल सतुजा ने चर्चा में कहा कि इतनी बड़ी इमारत बनकर तैयार है लेकिन वकीलों को इसका लाभ नहीं मिलना खेदजनक है. वकील भाइयों की समस्या हल करना हमारी प्राथमिकता है. इसके पहले हर मुश्किल घड़ी में डीबीए ने वकीलों को राहत पहुंचाने का काम किया है. इमारत का काम पूरा हो चुका है. केवल ऑडिटोरियम का फर्नीचर बनना बाकी है. जल्द ही वह भी पूरा हो जाएगा. इमारत की सुविधा जल्द से जल्द वकीलों को मिले, इसीलिए लगातार पीडब्ल्यूडी, महानगर पालिका और नगर रचना विभाग से समन्वय जारी है. कुछ तकनीकी कामों के कारण देरी हो रही है. आगामी 2 सप्ताह के भीतर दोनों ही प्रमाणपत्रों के मिलने की उम्मीद है. जल्द ही नई इमारत का उद्घाटन होगा और वकीलों को इसका लाभ मिलेगा. 

    हम भी प्रयास करेंगे

    डीबीए के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश जायसवाल ने कहा कि इमारत बनने के बावजूद अब तक वकीलों को इसका लाभ न मिलना आश्चर्य की बात है. वर्ष 2016 में अधि. नितिन तेलगोटे, उदय डबले और मैंने खुद नई इमारत के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाई थी. बार के ही सदस्य और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये की निधि मंजूर की. सब कुछ उपलब्ध होने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ. इसमें प्रशासन का उदासीन रवैया दिखाई देता है. जल्द से जल्द इमारत में कोर्ट और बार शुरू हो, इसके लिए हम भी प्रयास करेंगे.