संरक्षित जंगल से होकर नहीं मिल सकती बिजली, नये सिरे से आवेदन करने पर विभाग ले निर्णय: हाई कोर्ट

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    नागपुर. खेत में बिजली पाने के लिए आवेदन किए जाने के बाद बिजली की आपूर्ति संरक्षित जंगल से होकर देना संभव नहीं होने का खुलासा विभाग द्वारा किया गया. सुनवाई के बाद विभाग ने दूसरा विकल्प दिए जाने पर न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने नये विकल्प के अनुसार अर्जी करने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए. साथ ही अदालत ने अर्जी प्राप्त होने के बाद इस पर 6 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के आदेश बिजली विभाग को दिए.

    याचिकाकर्ता की ओर से अधि. एस. जिया काजी और सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील डीपी ठाकरे ने पैरवी की. याचिकाकर्ता ने बताया कि हिंगना तहसील के मोहगांव झिलपी में स्थित खेत में बिजली कनेक्शन पाने 24 दिसंबर 2020 को आवेदन किया था लेकिन इसे ठुकरा दिया गया.

    कनेक्शन 700 मीटर दूरी पर

    अर्जी ठुकराए जाते समय बताया गया कि जहां कनेक्शन देना है, वह स्थान 700 मीटर दूरी पर है. यहां तक कि यह पूरा परिसर संरक्षित जंगल का है जहां याचिकाकर्ता की जमीन है. उसके 50 मीटर दूरी पर डामर रोड है. यह डामर रोड भी जंगल परिसर के भीतर है. याचिकाकर्ता के पास बिजली पाने का दूसरा विकल्प उपलब्ध है.

    किसान होने के नाते याचिकाकर्ता उनकी जमीन के पास से गुजर रहे राज्य महामार्ग से सटी जमीन पर से बिजली कनेक्शन प्राप्त कर सकता है जिसके लिए फॉरेस्ट (कंजर्वेन्स) एक्ट 1980 के तहत आवेदन करना होगा. विभाग द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर याचिकाकर्ता ने ही इस विकल्प के अनुसार आवेदन करने की सहमति जताई. इसके बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी कर याचिका का निपटारा कर दिया.