College students
File Photo

    Loading

    नागपुर. पिछले करीब 2 वर्ष से कोरोना की वजह से कॉलेजों की आर्थिक हालत खराब हो गई है. अनुदानित कॉलेजों के प्राध्यापकों को तो समय पर वेतन मिल रहा है लेकिन बिना अनुदानित कॉलेजों में अब भी हालात सामान्य नहीं हैं. वेतन कटौती का सिलसिला जारी है. इसकी एक अन्य वजह सरकार द्वारा छात्रवृत्ति की निधि समय पर जमा नहीं कराया जाना भी है. दूसरी ओर तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा इंजीनियरिंग प्रवेश प्रक्रिया के लिए कॉलेजों में दिये जाने वाले सुविधा केंद्रों को भी पिछले 2 वर्षों ने मानधन नहीं दिया गया है. करीब करोड़ों रुपये का मानधन विभाग ने रोक रखा है.

    इंजीनियरिंग प्रवेश प्रक्रिया के तहत छात्रों के दस्तावेजों की पड़ताल करने, अलाटमेंट, आपत्ति दर्ज करने और रिपोर्टिंग करने के लिए कॉलेजों में ही सुविधा केंद्र बनाए जाते हैं. इन केंद्रों में कॉलेज के ही स्टाफ को नियुक्त किया जाता है. जब तक प्रवेश प्रक्रिया चलती है तब तक कर्मचारी केंद्र में अपनी सेवा देते हैं. आरटीएम नागपुर विवि के अंतर्गत करीब 40 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों का समावेश है. इन कॉलेजों में कैप राउंड की करीब 19,000 सीटें हैं. यानी 19,000 छात्र प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं जिनके दस्तावेजों की जांच सुविधा केंद्रों के माध्यम से की जाती है.

    राज्यभर के कॉलेजों का करोड़ों बकाया 

    तकनीकी शिक्षा विभाग ने सुविधा केंद्रों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए मानधन तय किया है. प्रति छात्र 110 रुपये का मानधन तय किया गया है. एक केंद्र पर करीब 1500-2000 छात्रों के दस्तावेजों की पड़ताल की जाती है. यदि 1500 छात्र ही पकड़े तो एक केंद्र को करीब 1.5 लाख रुपये मानधन के रूप में मिलते हैं लेकिन विभाग ने यह निधि पिछले 2 वर्ष से दी ही नहीं. केवल प्रथम वर्ष की प्रक्रिया ही नहीं बल्कि डायरेक्ट सेकंड ईयर की प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने वाले छात्रों का भी मानधन रोक दिया गया. विवि के अंतर्गत आने वाले करीब 20-25 कॉलेजों में सुविधा केंद्र बनाए जाते हैं. इस हिसाब से देखा जाये तो लाखों रुपये बकाया है. केवल नागपुर विभाग में ही नहीं बल्कि तकनीकी शिक्षा विभाग ने समूचे महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग कॉलेजों का मानधन रोक रखा है. यह निधि करोड़ों के आस-पास है. 

    अब तक छात्रों का डाटा भी नहीं मांगा

    कॉलेजों का कहना है कि सरकार द्वारा छात्रवृति निधि जारी करने में भी देरी की जा रही है. दूसरी ओर प्रवेश प्रक्रिया का मानधन भी नहीं मिल रहा है. इस हालत में प्राध्यापकों सहित स्टाफ के वेतन में दिक्कतें आ रही हैं. यदि समय पर मानधन जारी किया जाये तो कार्य करने में आसानी हो जाती है. सुविधा केंद्रों में कार्यरत स्टाफ को अतिरिक्त कार्य करना होता है. विभाग द्वारा हर वर्ष सुविधा केंद्रों से छात्रों की जानकारी मांगी जाती थी लेकिन पिछले वर्ष की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी अब तक छात्रों का डाटा नहीं मांगा गया.