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    नागपुर. कोविड की वजह से इस बार राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए ली जाने वाली सीईटी देरी से हुई. छात्रों को परीक्षा के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. अब प्रवेश प्रक्रिया के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा अब तक प्रवेश प्रक्रिया के संबंध में नोटिफिकेशन ही जारी नहीं किया गया है. जबकि कोर्ट ने 30 नवंबर तक समूची प्रक्रिया निपटाने के आदेश दिये है. विभाग की लेटलतीफी से छात्रों सहित पालकों का टेंशन बढ़ता जा रहा है. पिछले 18 महीनों से कोरोना की वजह से शिक्षा क्षेत्र की हालत खराब हो गई है. सरकार द्वारा इस दिशा में गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा है. राज्य के इंजीनियिरंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए सीईटी सेल द्वारा 15-29 सितंबर तक ऑनलाइन सीईटी ली गई. जबकि बाढ़ पीड़ित छात्रों के लिए पहले सप्ताह में परीक्षा ली गई. परीक्षा ऑनलाइन होने से परिणाम तैयार करने में देरी नहीं लगती. इसके बावजूद अब तक परिणाम जारी नहीं किया गया है.

    नवंबर के अंत तक कैसे संभव 

    दरअसल, रजिस्ट्रेशन शुरू होने से लेकर सभी राउंड के अलॉटमेंट में महीनेभर से अधिक समय लग जाता है. भले ही परिणाम घोषित नहीं हुआ है लेकिन विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आरंभ कर दी जानी चाहिए थी. छात्र-पालकों का कहना है कि बेवजह देरी से करिअर की प्लानिंग पर असर पड़ रहा है. जेईई एड़वांस का परिणाम घोषित कर दिया गया है. इस हालत में प्रक्रिया शुरू कर दी जानी चाहिए थी. प्रवेश प्रक्रिया आरंभ होने पर ऑप्शन फॉर्म करीब 15-20 दिन तक भरे जाते हैं. अक्टूबर आधा बीत गया है. इस हालत में देरी करने से नवंबर अंत तक भी प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकेगी. जबकि विश्वविद्यालयों द्वारा दिसंबर से परीक्षाएं ली जाएगी.

    डायरेक्ट सेकंड ईयर का भी अटकाया मामला 

    प्रथम वर्ष की तरह ही सेकंड ईयर की प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है. जबकि डिप्लोमा के परिणाम घोषित हुये महीनेभर से ज्यादा समय हो गया है. विश्वविद्यालयों द्वारा दिसंबर के महीने से सेकंड ईयर की परीक्षा ली जाती है. इस हालत में डायरेक्ट सेकंड ईयर में प्रवेश लेने वालों के पास पढ़ाई का समय ही नहीं मिलेगा. सरकार द्वारा न ही किसी तरह की जानकारी दी जा रही है और न ही प्लानिंग की जा रही है. यही वजह है कि छात्र होल्ड में है. पालकों को भी कुछ समझ नहीं आ रहा है. आखिर प्रवेश प्रक्रिया कब तक आरंभ हो सकेगी. देरी किये जाने से छात्रों का नुकसान है. पढ़ाई का समय कम मिलने से छात्रों की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ेगा.