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    नागपुर. केन्द्र, राज्य सरकार हो या फिर जिला परिषद के पदाधिकारी, सभी किसानों के हित की बात तो करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि जिला परिषद कृषि विभाग की ओर से किसानों को व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के तहत जो सामग्री व उपकरण दिये जाते हैं, उससे वे वंचित हैं. जिला परिषद के बजट में कृषि विभाग के लिए 2 करोड़ रुपये का नियोजन किया गया था. तब लगा था कि गरीब किसानों को इसका लाभ मिलेगा.

    हालत यह है कि इस चालू वित्तीय वर्ष का 7 महीना खत्म हो चुका है लेकिन सेस फंड की निधि से किसानों को कोई सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है. कृषि समिति के एक सदस्य ने बताया कि बीते 2 वर्षों से व्यक्तिगत लाभ की योजना से जिले के किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. दरअसल, फंड ही नहीं है. प्रस्तावों को मंजूरी देने के अलावा कोई दूसरा काम समिति की बैठकों में नहीं होता है.

    तालपत्री सहित मोटर पंप

    बताते चलें कि जिप कृषि विभाग की ओर से व्यक्तिगत लाभ की योजना के तहत किसानों को अनाज को बचाने के लिए तालपत्री सहित एचडीपी पाइप, मोटरपंप, आइल इंजन, पीवीस पाइप, तारों के कूंपन सहित कई तरह के उपकरण दिये जाते हैं. इसके लिए लाभार्थी किसानों से 10 फीसदी रकम ली जाती है और शेष 90 फीसदी अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है. लाभ की योजना की राशि डीबीटी के माध्यम से किसान के बैंक खाते में जमा की जाती है लेकिन पिछले दो वर्ष से कृषि विभाग खुद को असहाय महसूस कर रहा है. किसान पहले ही संकट में हैं. अतिवृष्टि व बाढ़ से हजारों किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. जिप कृषि विभाग से भी उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलने से वे परेशान हैं. उन्हें केवल आश्वासनों की घूंट पिलाई जा रही है.

    प्रभार पर चल रहा विभाग

    जिला परिषद कृषि विभाग में अनेक अधिकारी व कर्मचारियों के पद रिक्त हैं जिससे कामकाज भी प्रभावित हो रहा है. इतना ही नहीं जिला कृषि अधिकारी का पद भी प्रभारी के भरोसे चल रहा है. एक-एक अधिकारी के पास 2-3 तहसीलों की जिम्मेदारी जिसके चलते व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं ठंडी पड़ी हैं.