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  • प्राइवेट अस्पतालों में स्टाफ की कमी

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नागपुर. पिछले वर्ष अगस्त-सितंबर में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने लगी तो प्राइवेट अस्पतालों ने डॉक्टर, नर्स सहित पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती शुरू की. सरकार की नई गाइडलाइन के तहत 15 दिन सतत ड्यूटी के बाद 7 दिन का क्वारंटाइन दिए जाने से स्टाफ भी भरपूर संख्या में रखा गया. स्टाफ ज्यादा होने से मरीजों से वसूली भी तगड़ी गई लेकिन नवंबर-दिसंबर में मरीजों की संख्या कम होने के साथ ही अस्पतालों ने स्टाफ की छंटनी शुरू कर दी. वार्डों में सेवा देने वाले डॉक्टरों से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ को भी निकालना शुरू किया. दिसंबर तक स्टाफ कम हो गया था लेकिन एक बार फिर कोरोना बढ़ने से स्टाफ की कमी महसूस होने लगी है. यही वजह है कि अब एक बार फिर नये सिरे से भर्ती की जा रही है.

पिछले वर्ष अगस्त-सितंबर में कोरोना पूरे वेग पर था. स्थिति यह हो गई थी कि प्राइवेट अस्पतालों में बेड खाली नहीं थे. हर दिन मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा था. कोविड मरीजों के उपचार में लगे स्टाफ अन्य मरीजों की सेवा में नहीं लगाया जा सकता था. इस वजह से अस्पतालों को अतिरिक्त भर्ती करनी पड़ी. लेकिन जैसे-जैसे मरीज कम होने लगे, स्टाफ को निकालना शुरू कर दिया गया. दिसंबर-जनवरी तक प्राइवेट अस्पतालों में स्थिति सामान्य हो गई थी. निकाले गये स्टाफ ने भी अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार जॉब प्राप्त कर लिया. 

अधिक सैलरी देना पड़ रहा

अब जब अस्पतालों को जरूरत है तो पुराने स्टाफ को बुलाया जा रहा है. लेकिन अचानक काम से निकाल दिए जाने की वजह से अब कई बीएएमएस डॉक्टर और नर्स पुरानी जगह पर जाने को तैयार नहीं है. मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और स्टाफ की कमी होने से अस्पताल प्रबंधन के पसीने छूटने लगे हैं. आईसीयू वाले अस्पतालों को नर्सों को अधिक वेतन देकर बुलाना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी उनकी जरूरत पूरी नहीं हो रही है. यही स्थिति शासकीय स्तर पर भी बनी हुई है. मेयो और डागा अस्पताल में भी फिक्स पेमेंट पर नर्सों को रखा गया था. लेकिन बाद में उन्हें काम से निकाल दिया गया था. अब प्रशासन की भी मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने पर मेडिकल और मेयो को बेड बढ़ाने पड़ेंगे. इस हालत में स्टाफ भी बढ़ाना अनिवार्य हो जाएगा. 

भविष्य की तैयारी जरूरी

इस बार गत वर्ष जैसी स्थिति नहीं है. हालांकि वायरस तेजी से चेन बना रहा है, लेकिन मरने वालों की संख्या कम है. भले ही यह डॉक्टरों के लिए राहत की बात हो लेकिन भविष्य की तैयारी भी जरूरी है. मौसम में आये बदलाव के बाद स्थिति बिगड़ने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है. यही वजह है कि अगले कुछ महीनों की संभावना के मद्देनजर प्रशासन को अभी से सतर्कता बरतते हुए तैयारी करना पड़ेगा. मरीजों को बेहतर सेवा मिल सके, इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा.