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    नागपुर. रेलवे ने त्योहारों से ठीक पहले 68 ट्रेनों को रद्द कर दिया है, जिससे यात्रियों में भारी नाराजगी है. लोगों ने कई महीने पहले से अपने रिजर्वेशन करा रखे थे. ऐन मौके पर ट्रेनों के रद्द होने से उनका सारा प्लान ही चौपट हो गया है. शनिवार को हजारों यात्रियों ने अपना रिजर्वेशन कैंसिल कराया. हालांकि रेलवे का कहना है कि यात्रियों को पूरा पैसा रिफंड हो जाएगा परंतु लोगों का कहना है कि बड़ी मुश्किल से रिजर्वेशन कराया था. अभी सभी ट्रेनों में लंबी वेटिंग चल रही है. ऐसे में दूसरी ट्रेनों में टिकट मिलना नामुमकिन है.

    एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा पैसेंजर ट्रेनों को भी कैंसिल किया गया है, जिसके कारण दैनिक यात्रियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. लोगों का कहना है कि रक्षाबंधन और भाईदूज का त्योहार भाई बहन के लिए विशेष महत्व रखता है. रक्षाबंधन में राखी बंधवाने के लिए दूर-दूर से भाई अपने बहन के घर जाता है. अचानक ट्रेनों के कैंसिल करने से पहले रेलवे के अधिकारियों को लोगों की परेशानी को समझना चाहिए था.

    भारतीय यात्री केंद्र के सचिव बसंत कुमार शुक्ला ने कहा कि भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन त्योहार का काफी महत्व है. यह साल में एक ही बार आता है. त्योहारों को ध्यान में रखकर रेलवे स्पेशल ट्रेनें चलाती हैं लेकिन यहां पर ठीक उल्टा हो रहा है. रेलवे का यह निर्णय यात्रियों के साथ अन्याय है. यादव समाज के नागपुर शहर अध्यक्ष सतीश यादव ने कहा कि नागपुर और आसपास के इलाकों में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के करीब 3 लाख लोग रहते हैं. ये सभी लोग रक्षाबंधन पर जरूर अपने घर जाते हैं.

    उन्होंने कहा कि रेलवे को त्योहार से ठीक पहले मेगा ब्लॉक लेने की क्या जरूरत थी. यह काम त्योहारों के बाद भी कराया जा सकता था. यादव ने कहा कि पीक समय में ट्रेनों को रद्द करके रेलवे को घाटे में दिखाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि रेलवे को निजी हाथों में सौंपा जा सके. उत्तर भारतीय संगठन के अध्यक्ष आजाद सिंह ठाकुर ने कहा कि ट्रेनों के रद्द होने से बसों में भीड़ बढ़ गई है. इसके कारण बस संचालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं. 400 रुपए का टिकट 1200 रुपए में बेचा जा रहा है. पहले से महंगाई की मार झेल रहे लोगों पर यह दोहरी मार है.