Ganpati, Ganeshotsav

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    नागपुर. पीओपी मूर्तियों और इन पर लगे रासायनिक रंगों के चलते पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर जहां हाई कोर्ट ने संज्ञान लेकर सरकार को नीति निर्धारित करने के आदेश दिए, वहीं अब मनपा ने भी जल प्रदूषण को टालने के लिए लोगों से मिट्टी की मूर्तियों को ही स्थापित करने की अपील की है. घनकचरा व्यवस्थापन विभाग की ओर से इकोफ्रेन्डली गणेश की स्थापना कर पर्यावरणपूरक गणेशोत्सव मनाने की अपील की गई है. 31 अगस्त को गणेश  स्थापना होगी. गत 2 वर्षों में कोरोना की विकराल स्थिति होने के कारण गणेशोत्सव पर कई तरह की पाबंदियां रही हैं जो अब पूरी तरह से शिथिल हो गई हैं, इसलिए इस बार उत्साह से गणेशोत्सव मनाया जाएगा.

    POP मूर्तियों का न करें इस्तेमाल

    मनपा ने बताया कि पीओपी की मूर्तियां पानी में घुलती नहीं हैं. साथ ही इनका  तालाबों में विसर्जन होने से उष्णता का प्रमाण भी बढ़ता है. अधिक मात्रा में त्वचा से सम्पर्क में आने के बाद त्वचा पर भी परिणाम होता है. पीओपी की मूर्तियों पर घातक रंगों का इस्तेमाल होता है जो धातु मिश्रित होता है. अत: पीओपी की मूर्तियों का इस्तेमान नहीं करने की अपील मनपा ने की. मनपा की ओर से बताया गया कि पीओपी की मूर्तियों की बिक्री न हो, इसके लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं लेकिन पीओपी पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के लिए लोगों का सहयोग जरूरी है. 

    मूर्ति खरीदते समय सतर्क रहें

    मनपा ने कहा कि बाजारों में पीओपी मूर्तियों पर दस्ते नजर रख रहे हैं लेकिन कुछ व्यापारी चकमा देकर मिट्टी की मूर्तियां दिखाकर पीओपी की मूर्तियां बेचने का कारोबार करते हैं. पीओपी की मूर्तियों के रंग आकर्षक होने के कारण लुभावने होते हैं जिसका लाभ उठाकर दूकानदार आसानी से यह मूर्तियां बेच देता है. ऐसे में मूर्तियां खरीदते समय जनता को सतर्क रहने की अपील भी मनपा ने की. पीओपी मूर्तियों पर उपयोग में लाए जाने वाले रासायनिक रंगों में तांबा, क्रोमियम, कैडिमियम, निकेल, लेड, मरक्युरी जैसे घातक द्रवों का उपयोग होता है जो मानवों के साथ ही जलचरों के लिए हानिकारक होता है.